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2050 तक तीसरे नंबर पर होंगे हिंदू, भारत में होंगे सबसे ज्यादा मुस्लिम

वॉशिंगटन: 2050 तक हिंदुओं की आबादी दुनिया में तीसरे नंबर पर आ जाएगी । इसके साथ ही भारत इंडोनेशिया को पीछे छोड़कर मुस्लिमों की सर्वाधिक आबादी वाला देश होगा। एक नए अध्ययन में इस बात

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वॉशिंगटन: 2050 तक हिंदुओं की आबादी दुनिया में तीसरे नंबर पर आ जाएगी । इसके साथ ही भारत इंडोनेशिया को पीछे छोड़कर मुस्लिमों की सर्वाधिक आबादी वाला देश होगा। एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा किया गया है।

प्यू शोध केंद्र की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक हिंदुओं की आबादी पूरी दुनिया में 34 फीसदी बढ़ेगी और यह 2050 तक करीब एक अरब से 1.4 अरब तक होगी।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2050 तक हिंदू तीसरे नंबर पर आकर पूरी दुनिया की आबादी का 14.9 फीसदी हिस्सा बन जाएंगे।

मजेदार बात यह है कि जो लोग किसी भी धर्म से नहीं जुडे हुए हैं, वे दुनिया की चौथी सबसे बडी आबादी का हिस्सा यानी 13.2 प्रतिशत होंगे। इस समय वे दुनिया की आबादी का तीसरा हिस्सा हैं, लेकिन हिंदू इन्हें पीछे छोड़ते हुए तीसरे नंबर पर आ जाएंगे। इस रिपोर्ट में कहा गया है, 'भारत में हिंदुओं की बहुलता होगी, लेकिन इंडोनेशिया को पीछे छोड़ते हुए भारत सबसे बड़ा मुस्लिम आबादी वाला देश भी हो जाएगा। '

रिपोर्ट के मुताबिक, 'अगले चार दशक में ईसाई सबसे बडे धार्मिक समूह होंगे, लेकिन इस्लाम धर्म को मानने वालों की आबादी किसी भी अन्य धर्म की तुलना में तेजी से बढ़ेगी।' रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि 2050 तक मुस्लिमों की संख्या 2.8 अरब यानी दुनिया की आबादी का 30 फीसदी हो जाएगा और ईसाईयों की आबादी उनसे थोड़ी ही ज्यादा यानी 2.9 अरब होगी, जो कुल आबादी का 31 फीसदी होगी।

इस अनुमान के मुताबिक ईसाई और इस्लाम धर्म के मानने वालों के बीच काफी कम अंतर रह जाएगा, जो इतिहास में संभवत: पहली बार होगा। 2010 में ईसाईयों की आबादी 2.17 अरब और मुस्लिमों की आबादी 1.6 अरब थी। इसमें यह भी कहा गया है कि इन्हीं रुझानों के आधार पर आबादी बढ़ी तो 2070 में इस्लाम धर्म को मानने वालों की आबादी दुनिया में सबसे ज्यादा होगी।

2050 तक यूरोप में हिंदुओं और मुस्लिमों की संख्या वहां फिलहाल मौजूद अपनी आबादी से दोगुनी हो जाएगी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ बौद्ध धर्म को मानने वालों की आबादी नहीं बढ़ेगी। इसकी वजह इस धर्म को मानने वाले लोगों की बढ़ती उम्र और उनकी आबादी बढ़ने की धीमी दर बताई गई है। ये अनुमान विभिन्न धर्मावलंबियों की जनसंख्या वृद्धि दर, कुल आबादी में युवाओं का हिस्सा और धर्मांतरण के आधार पर लगाए गए हैं।

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