अफगानिस्तान में आतंकवाद के खतरे पर भारत ने सुरक्षा परिषद को जमकर लताड़ा
अफगानिस्तान में फैले आतंकवाद के खतरे का सामना करने में नाकाम रहने के कारण भारत ने सुरक्षा परिषद की आलोचना की है...
संयुक्त राष्ट्र: अफगानिस्तान में फैले आतंकवाद के खतरे का सामना करने में नाकाम रहने के कारण भारत ने सुरक्षा परिषद की आलोचना की है। अफगानिस्तान में फैला आतंकवाद देश की सीमा के बाहर भी लगातार खतरा पैदा करता रहा है। भारत के उप-स्थाई प्रतिनिधि तन्मय लाल ने गुरुवार को अफगानिस्तान की स्थिति पर परिषद में हुई बहस के दौरान कहा, ‘इस्लामिक स्टेट से मिल रही धमकियों के बीच सुरक्षा परिषद यह तय नहीं कर सकती कि तालिबान के नए प्रमुखों को (वैश्विक आतंकवादी के रूप में) नामित किया जाए या संगठनों के मारे गए प्रमुखों की संपत्ति जब्त कर ली जाए। इस मुद्दे को परिषद के ध्यान एक साल पहले लाया गया था।’ अफगानिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से तालिबान के मुल्ला हैबतुल्ला अखुंदजदा को प्रतिबंध सूची में शामिल करने के लिए कहा था।
अखुंदजदा ने अख्तर मोहम्मद मंसूर के बाद उसका पद संभाला था। मंसूर 2016 में अमेरिकी के ड्रोन हमले में मारा गया था। हालांकि, परिषद ने अखुंदजादा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की और न ही मंसूर की संपत्ति जब्त की। लाल ने कहा, ‘तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, दाएश, अल कायदा और इसके सहयोगी लश्कर-ए-तैयबा एवं जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों को अफगानिस्तान के बाहर से मिल रहे समर्थन को रोका जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘ऐसे समूहों के लिए अफगान सीमाओं से बाहर उपलब्ध सभी सुरक्षित आश्रयों और अभयारण्यों का अंत होना चाहिए। इस संबंध में हमारे सामूहिक हितों के लिए सुरक्षा परिषद पर एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।’
लाल ने अफगानिस्तान में आतंकवादी संगठनों द्वारा आतंकवाद के चक्र को बनाए रखने के प्रयास में धन जुटाने के लिए अफीम खेती की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया। लाल ने कहा, ‘इस अवैध व्यापार को नियंत्रित करने वाले अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क को पहचानना होगा और उनसे निपटाना होगा।’ उन्होंने आतंकवादी संगठनों को धन का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र को प्रतिबंधों का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया।