वॉशिंगटन: पेंटागन ने कहा है कि यदि भारत रूस से S-400 मिसाइलें खरीदता है तो उसे प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। मिसाइलों की खरीद पर भारत को दंडात्मक अमेरिकी प्रतिबंधों से स्वत: छूट से पेंटागन ने इनकार किया है। पेंटागन ने गुरुवार को कहा कि अगले हफ्ते नई दिल्ली के साथ होने वाली पहली ‘टू प्लस टू’ वार्ता से पहले करीब 5 अरब अमेरिकी डॉलर के मिसाइल रक्षा प्रणाली सौदे को लेकर अमेरिका की कुछ चिंताएं हैं। गौरतलब है कि भारत, रूस से करीब 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से 5 S-400 ट्रिंफ मिसाइल वायु रक्षा प्रणाली खरीदने की योजना बना रहा है।
अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस सार्वजनिक रूप से भारत को प्रतिबंधों से छूट देने के समर्थक रहे हैं। एशिया और प्रशांत सुरक्षा मामलों के लिए सहायक रक्षा मंत्री रैंडल जी श्राइवर ने कहा, ‘मैं यहां बैठकर आज आपको नहीं बता सकता कि (CAATSA) रियायत का अनिवार्य रूप से इस्तेमाल किया जाए। यह ऐसा मुद्दा है कि इस पर हमारी सरकार के सर्वोच्च स्तर पर चर्चा होगी और वे कुछ तय करेंगे। हम ऐतिहासिक भारत-रूस रिश्तों को समझते हैं। हम भारत के साथ विरासत पर नहीं भविष्य को लेकर बातचीत चाहते हैं।’
श्राइवर ने कहा, ‘CAATSA पर मैटिस ने भारत को अपवाद के लिए अपील की है लेकिन मैं इसकी गारंटी नहीं दे सकता कि भविष्य की खरीद के लिए छूट का इस्तेमाल किया जा सकेगा। रूस ऐसा देश नहीं है जिससे आप रणनीतिक साझेदारी चाहते हैं।’ नई दिल्ली में भारत के साथ आगामी टू प्लस टू के लिए रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस की प्राथमिकताओं पर चर्चा करते हुए श्राइवर ने कहा कि CAATSA रूसी व्यवहार का नतीजा था, न कि भारतीय। उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत के साथ उसकी रक्षा जरूरतों और विकल्पों पर बात करने का इच्छुक है।
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