वाशिंगटन: अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी पर भी वहां तालिबान, पाकिस्तान और चीन का प्रभाव सीमित करने के लिए भारत द्वारा उसे (अफगानिस्तान को) वित्तीय और अन्य सहायता जारी रखने की संभावना है। शुक्रवार को अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई अपनी ताजा रिपोर्ट में पेंटागन ने कहा कि अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति काफी बिगड़ जाने के कारण उसे सहायता पहुंचाने की भारत की क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में ट्रंप ने घोषणा की थी कि अमेरिका अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाएगा। तालिबान को सत्ता से बेदखल करने के लिए अफगानिस्तान में किए अमेरिका नीत हमले के करीब 18 साल बाद भी अमेरिका के अब भी 14,000 सैनिक अफगानिस्तान में हैं। पेंटागन ने कहा है,‘‘ अफगानिस्तान से अमेरिका के हटने की स्थिति में ऐसी संभावना है कि भारत अफगानिस्तान को अपना सहयेाग जारी रखने का प्रयास करेगा तथा तालिबान, पाकिस्तान और चीन का प्रभाव सीमित करने की कोशिश करेगा।’’
उसके अनुसार भारत अफगानिस्तान में एक ऐसी स्थिर सरकार चाहता है जो आतंकवादियों को पनाह नहीं दे क्योंकि वे भारत के हितों को निशाना बना सकते हैं। वह (भारत) अफगानिस्तान का पाकिस्तान से करीबी रिश्ता भी नहीं चाहेगा। पेंटागन ने कहा है कि 1990 के दशक में भारत ने पूर्व ‘‘नॉदर्न एलायंस’’ का समर्थन किया और वह अफगान की सत्ता में पैठ रखने वालों के संपर्क में रहा। उसने अफगान वायुसेना को 2015-16 में चार एम 35 और 2018 में चार एमआई 35 हेलीकॉप्टर दिए। उसने कहा, ‘‘ यह सहायता (अफगानिस्तान को) सिर्फ गैर घातक सैन्य सहायता पहुंचाने की भारत की पिछली नीति से अलग है।’’
हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अफगानिस्तान को भारतीय सहायता मुख्य तौर पर चार श्रेणियों पर केंद्रित है -- मानवीय सहायता, बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं, छोटे और समुदाय आधारित परियोजनाएं, शिक्षा एवं क्षमता निर्माण। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी नयी दक्षिण एशियाण रणनीति अगस्त 2017 में पेश की थी और अफगानिस्तान में शांति बहाल करने के लिए भारत से एक बड़ी भूमिका निभाने की अपील की थी।
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