क्लीवलैंड: भारत और अमेरिका ने पेट्रोलियम एवं उर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाते हुये कई अहम पहल करने पर सहमति जताई है। इस पहल का लक्ष्य उर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना है। दोनों देशों के बीच सहयोग की प्रमुख संभावनाओं में राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक जरूरत को ध्यान में रखते हुये पेट्रोलियम भंडारण विकास, जैव ईंधन (दूसरी पीढ़ी के एथनॉल और जैव डीजल) के विकास में नई प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग बढ़ाने और भारतीय में पारंपरिक तथा गैर पारंपरिक पेट्रोलियम-गैस भंडारों का आकलन एवं पुर्नआकलन शामिल है।
केंद्रीय पेट्रोलियम राज्य मंत्री और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और उनके अमेरिकी समकक्ष, उर्जा मंत्री अर्नेस्ट मोनिज के बीच सोमवार को हुई बैठक में इस बारे में निर्णय लिया गया। प्रधान ह्यूस्टन और वाशिंगटन डीसी की यात्रा के बाद कल भारत के लिए रवाना हो गये। मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय उर्जा मामलों के लिए विशेष दूत तथा संयोजक एमोस होक्स्टीन से भी मुलाकात की जिसमें उन्होंने उर्जा क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग बरकरार रखने के बारे में चर्चा की।
अमेरिका-भारत द्विपक्षीय उर्जा सहयोग 2005 में उर्जा वार्ता के रूप में शुरू हुआ था जिसके तहत तेल एवं गैस पर भी चर्चा हुई। पिछले एक दशक में सीमांत क्षेत्र से उत्पादन, शेल ढांचे, गैस पाइपलाइन नेटवर्क का विकास, रिफाइनरी दक्षता में सहयोग जैसे आपसी हितों के कई क्षेत्रों की पहचान की गई। यहां जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि प्रधान और मोनिज सहयोग के ठोस क्षेत्रों में प्रगति के लिए दोनों पक्षों के अधिकारियों और विशेषग्यों की नियमित बैठक पर सहमत हुए।
गेल ने अमेरिका से 2017 के अंत से 58 लाख टन सालाना LNG आयात का अनंबंध किया है। भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में शेल तेल एवं गैस परियोजनाओं में निवेश भी किया है।
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