संयुक्त राष्ट्र। शुक्रवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया। इस दौरान इमरान खान की बेहद अलग-थलग दिखाई पड़ रहे थे। इमरान खान ने भाषण की शुरुआत में ही मजहब की आड़ लेना शुरू कर दिया। उन्होंने दावा किया कि 9/11 घटना के बाद से ‘‘इस्लामोफोबिया (इस्लाम को लेकर पैदा किया जा रहा भय)’’ चिंताजनक ढंग से बढ़ा है और इसके चलते बंटवारा हो रहा है।
उन्होंने कहा कि कुछ देशों में ‘‘हिजाब’’ पहनना समुदाय के खिलाफ एक हथियार बना गया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने पहले संबोधन में खान ने जलवायु परिवर्तन, धन शोधन एवं इस्लामोफोबिया सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। खान ने कहा कि पश्चिमी देशों में अरबों मुस्लिम अल्पसंख्यक की तरह रह रहे हैं तथा 9/11 के हमले के बाद से इस्लामोफोबिया चिंताजनक गति से बढ़ा है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस्लामोफोबिया विभाजन पैदा कर रहा है, हिजाब एक हथियार बन गया है, एक महिला अपने वस्त्र निकाल सकती है किंतु वह अधिक वस्त्र नहीं पहन सकती। यह 9/11 के बाद हुआ है तथा यह इसलिए शुरू हुआ क्योंकि चंद पश्चिमी देशों ने इस्लाम की तुलना आतंकवाद से की है।’’
इमरान खान ने ‘‘कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद’’ शब्द के प्रयोग पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस्लाम केवल एक है। उन्होंने कहा, ‘‘कट्टरपंथी इस्लाम जैसी कोई चीज नहीं है। ’’ उन्होंने कहा कि हर धर्म में व्यक्ति कट्टरपंथी कृत्यों को करते हैं। खान ने कहा कि नेताओं द्वारा अतिवादी इस्लामी आतंकवाद के प्रयोग ने इस्लाम के प्रति भय पैदा किया है और मुस्लिमों को तकलीफ दी है।
इमरान ने कश्मीर राग भी अलावा
इमरान खान ने अपने संबोधन के दौरान एक बार फिर कश्मीर मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कश्मीर में हिंसा भड़काने की नियत से कहा कि वहां कर्फ्यू हटने के बाद वहां काफी खून-खराबा होगा। इससे पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां अपने संबोधन में दुनिया को शांति का संदेश दिया।
संयुक्त राष्ट्र के मंच से परमाणु युद्ध की धमकी देते हुए कहा, "मैं सोचता हूं कि मैं कश्मीर में होता और 55 दिनों से बंद होता, तो मैं भी बंदूक उठा लेता। आप ऐसा करके लोगों को कट्टर बना रहे हैं। इससे पहले कि परमाणु युद्ध हो, संयुक्त राष्ट्र की कुछ करने की जिम्मेदारी है। हम हर स्थिति के लिए तैयार हैं। अगर दो देशों के बीच युद्ध हुआ तो कुछ भी हो सकता है।"
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