वाशिंगटन: संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि निक्की हेली ने आज कहा कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अन्य देशों को इस बात के लिये प्रोत्साहित कर रहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जिस परमाणु समझौते को नापसंद करते हैं उसे वे भी रद्द कर दें और ईरानी मिसाइलों के खिलाफ कार्रवाई तथा अन्य गैर-परमाणु उल्लंघनों पर ध्यान केंद्रित करें। निक्की सुरक्षा परिषद के साथी राजदूतों को वाशिंगटन लेकर आयी थीं। उन्होंने सुझाव दिया कि बैलिस्टिक मिसाइलों पर सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के उल्लंघन पर ईरान को दंडित करने के लिये एक सम्मिलित वैश्विक प्रयास ट्रम्प को इस बात का भरोसा दिला सकता है कि परमाणु समझौते में बने रहना उपयुक्त है। (गलत आमंत्रण टिकट छपने पर सिनेटर्स ने उड़ाया ट्रंप का मज़ाक )
उन्होंने कहा कि फ्रांस वर्ष 2015 के परमाणु समझौते की बातचीत करने वाले समूह का एक प्रमुख सदस्य था और उसने भी बैलिस्टिक मिसाइल प्रस्तावों के उल्लंघन के लिये हाल में ईरान पर सख्त लहजे में ‘‘प्रहार करना’’ शुरू किया है। निक्की ने कहा, ‘‘यह काम कर रहा है। वे इस बात को स्वीकार करने लगे हैं कि अगर हम उल्लंघनों के बारे में बातचीत शुरू नहीं करते, उन्हें मदद के लिये नहीं पुकारते, तो अमेरिका यही कहने वाला है कि ये सारी बातें ढोंग हैं।’’
ईरान की मुखर आलोचक रहीं निक्की सुरक्षा परिषद के अन्य दूतों को मिसाइल के उन हिस्सों को यह दिखाने के मकसद से वाशिंगटन स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डा लेकर आयी थीं कि अमेरिका यमन में ईरान-समर्थित हूथी विद्रोहियों को निषिद्ध मिसाइलों के अवैध ईरानी हस्तांतरण का सबूत बता सके। ट्रम्प प्रशासन अपनी इस बात पर कायम है कि मिसाइलों के ये टुकड़े हूथियों द्वारा यमन से प्रक्षेपित किये जाने के बाद सऊदी अरब में बरामद किया गया था। इनमें ऐसे चिह्न हैं जो इसके ईरान-निर्मित होने की पुष्टि करते हैं। बहरहाल कुछ सुरक्षा विशेषज्ञों ने साक्ष्यों के पुख्ता होने पर सवाल उठाये हैं।
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