वॉशिंगटन: पाकिस्तान के एक पूर्व शीर्ष राजनयिक हुसैन हक्कानी ने अमेरिका को अफगानिस्तान में तालिबान के साथ बातचीत को लेकर आगाह किया है। हक्कानी के मुताबिक, तालिबान इस बातचीत के जरिए धोखा देकर अमेरिका को अफगानिस्तान से बाहर कर सकता है, जिससे अफगानिस्तान एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय आतकंवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन सकता है।
अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक हक्कानी ने विदेश नीति से जुड़ी एक प्रतिष्ठित पत्रिका में लिखा, ‘अगर अमेरिकी जल्दबाजी में अफगानिस्तान छोड़ने का फैसला करते हैं, तो जिहादी पूरी दुनिया में भविष्य के लड़ाकों को यह बताएंगे कि किस तरह उनके धार्मिक जुनून के साथ आतंकवाद के मिश्रण ने दुनिया की दो सैन्य महाशक्तियों पर जीत हासिल की।’
इससे पहले सोवियत संघ को भी अफगानिस्तान से बाहर जाना पड़ा था। हक्कानी ने यह विचार हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को लिखे गए उस पत्र के बाद रखे हैं, जिसमें ट्रंप ने इमरान से अफगानिस्तान में शांति के लिये पाकिस्तान का सहयोग मांगा था।
हक्कानी ने लिखा, अमेरिका के नजरिये से, अफगानिस्तान पिछड़ा हुआ देश है जो सिर्फ विरोधियों के इस पर नियंत्रण के दौरान सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो जाता है। अमेरिका ने 1980 के दशक में सोवियत संघ को हटाने के लिए अफगानों का समर्थन किया था। गौरतलब है कि अफगानिस्तान में शांति के लिये वर्षों से अमेरिका ने अपने सैनिकों को तैनात कर रखा है, लेकिन इस दौरान हुए तालिबान के हमलों के चलते अनेक अमेरिकी सैनिकों को भी जान गंवानी पड़ी है।
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