नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने पाकिस्तान को बहुत बड़ा झटका देते हुए उसे ग्रे लिस्ट में डाल दिया है। बता दें कि चीन ने भी इसका विरोध नहीं किया। इसका असर ये होगा कि पाकिस्तान को दूसरे देशों से मदद नहीं मिलेगी। इससे पहले पाक के निकट सहयोगी देशों सऊदी अरब और तुर्की ने उसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के वित्तपोषण की निगरानी सूची में डालने के अमेरिका के प्रयास को रोकने के लिए हाथ मिलाया था। अमेरिकी मीडिया की खबर में यह जानकारी दी गई थी।
पाकिस्तान ने इसे एक अपनी जीत की तरह लिया था। वहीं डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन पेरिस में मौजूदा वित्तीय कार्रवाई कार्यबल :एफएटीएफ: की बैठक में पर्दे के पीछे से काम कर रहा था ताकि वह उस देश के खिलाफ कार्रवाई कर सके, जिसके बारे में उसका मानना है कि उसने आतंकवाद का वित्तपोषण रोकने तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू करने के लिए उचित कदम नहीं उठाया है।
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पहला विरला मामला है जिसमें सऊदी अरब और ट्रंप प्रशासन के बीच सहमति नहीं बन पाई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सऊदी अरब खाड़ी सहयोग परिषद :जीसीसी: की वजह से ऐसा कर रहा है। पाकिस्तान ने कल दावा किया था कि उसने अमेरिका के उसे आतंकवाद के वित्तपोषण की निगरानी सूची में डालने का प्रयास विफल कर दिया है। पेरिस के अंतरराष्ट्रीय वॉचडॉग ने उसे इस मामले में तीन महीने की छूट दे दी है।
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