वॉशिंगटन: पिछले कुछ महीनों में ट्रंप प्रशासन के रवैये को देखकर लग रहा था कि अमेरिका अगले कुछ महीनों में अफगानिस्तान में अपने सैनिकों की उपस्थिति कम कर देगा। हालांकि एक अमेरिकी दूत की मानें तो ऐसा कुछ भी नहीं होगा। अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी की खबरों के बीच तालिबान से बातचीत के लिए अमेरिकी दूत ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका दुनिया के सबसे लंबे युद्ध से ना अपनी सेना ‘कम कर रहा है और ना ही वहां से भाग’ रहा है।
‘महिला अधिकारों को दी जाएगी तवज्जो’
दूत ने कहा कि करीब 18 साल से चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए शांति वार्ता में महिलाओं के अधिकारों को भी तवज्जो दी जाएगी। जलमय खलीलजाद ने कतर से एक वीडियो लिंक के जरिए वॉशिंगटन में दर्शकों को संबोधित किया। वॉशिंगटन में हुआ यह कार्यक्रम उन महिलाओं की आवाज उठाने पर केंद्रित रहा जिन्होंने आशंका जताई कि तालिबान के साथ किसी तरह के शांति समझौते से आजादी हासिल करने के लिए किए गए उनके प्रयासों पर पानी फिर जाएगा और यह उन्हें तालिबान के दमनकारी शासन के दौर में वापस ले जाएगा।
‘हम यहां सकारात्मक विरासत छोड़ना चाहेंगे’
अफगानिस्तान में जन्मे अमेरिकी दूत ने कहा, ‘हम यहां बहुत ही सकारात्मक विरासत छोड़ना चाहेंगे। हम ना तो सेना कम कर रहे हैं और ना ही मैदान छोड़कर भाग रहे हैं। हम सेना हटाने का समझौता नहीं कर रहे हैं। हम शांति समझौता कर रहे हैं। हम अफगानिस्तान के साथ दीर्घकालिक रिश्ते और साझेदारी की उम्मीद कर हैं।’ तालिबान ने मौजूदा अफगान सरकार से मुलाकात करने से इनकार कर दिया है लेकिन शांति को लेकर चर्चा चल रही है।
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