वॉशिंगटन: अमेरिका ने कहा है कि ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों से बचने के लिए विभिन्न देशों द्वारा ‘विशेष भुगतान तंत्र’ तैयार करने की कोशिश से नुकसान होगा। अमेरिका का यह बयान उस वक्त आया है, जब यूरोपीय संघ ने इस्लामी देश के साथ कानूनी तौर पर व्यापार शुरू करने के लिए एक नया तंत्र स्थापित करने का निर्णय किया है। गौरतलब है कि इस वर्ष की शुरूआत में ट्रंप प्रशासन 2015 के ईरान परमाणु समझौते से हट गया था और उसने ईरान पर कई कड़े प्रतिबंध दोबारा लगा दिए थे।
ईरान पर पहले चरण का प्रतिबंध पहले से ही लागू है, वहीं व्यापक प्रतिबंध 4 नवंबर से पूरी तरह से लागू हो जाएंगे। अमेरिका को उम्मीद है कि भारत सहित सभी देश उस वक्त तक ईरान से तेल का आयात बंद कर देंगे। अमेरिकी सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगर कोई भी देश ईरान से व्यापार करना जारी रखता है तो अमेरिकी बैंकिंग और आर्थिक तंत्र तक उसकी पहुंच ब्लॉक हो जाएगी। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र ने इस प्रतिबंधों को लागू नहीं किया है और भारत की यह नीति रही है कि वह केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को ही लागू करता है।
भारत ईरान से तेल आयात करने वाले सबसे बड़े देशों में एक है और उसने तेल का आयात घटा दिया है, लेकिन उसकी ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए इस बात की संभावना कम है कि वह आयात बंद कर दे। भारत और अमेरिका इस मुद्दे पर बातचीत कर रहे हैं। इस बीच, सोमवार को EU ने घोषण की कि वह ईरान के साथ तेल तथा अन्य प्रकार के व्यापार को बरकरार रखने के लिए अमेरिका की दंडनीय कार्रवाई से बचने के वास्ते नया भुगतान तंत्र विकसित करेगा। EU के इस बयान पर नाखुशी जाहिर करते हुए अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने मंगलवार को कहा, ‘यह सर्वाधिक प्रतिकूल कदमों में एक है।’
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