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Hindi News विदेश अमेरिका खुशखबरी! धरती के रक्षाकवच ओजोन का छेद 1988 के बाद सबसे छोटा

खुशखबरी! धरती के रक्षाकवच ओजोन का छेद 1988 के बाद सबसे छोटा

अंटार्टिक क्षेत्र में हर साल बनने वाले ओजोन छेद में इस साल सितंबर में 1988 के बाद सबसे ज्यादा ह्रास पाया गया है...

Representational Image | Pixabay- India TV Hindi Representational Image | Pixabay

वॉशिंगटन: अंटार्टिक क्षेत्र में हर साल बनने वाले ओजोन छेद में इस साल सितंबर में 1988 के बाद सबसे ज्यादा ह्रास पाया गया है। नासा और नेशनल ओसनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को इस आशय की घोषणा की और बताया कि गर्म वायु के कारण हर साल सितंबर में अंटार्कटिक क्षेत्र के ऊपर ओजोन परत में छेद इस साल 1988 के बाद सबसे छोटा पाया गया है। नासा के मुताबिक, 11 सितंबर को ओजोन छेद में सबसे ज्यादा विस्तार हुआ, जोकि आकार में तकरीबन अमेरिका के क्षेत्र का ढाई गुना यानी 76 लाख वर्ग मील था। इसके बाद सितंबर से अक्टूबर तक इसमें ह्रास होता रहा।

NOAA के जमीन व गुब्बारा आधारित परिमाप में ओजोन ह्रास चक्र के दौरान इस साल ओजोन का ह्रास 1988 के बाद सबसे कम पाया गया। नासा के मैरीलैंड के ग्रीनबेल्ट स्थित गोड्डार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में प्रमुख भूवैज्ञानिक, पॉल ए. न्यूमैन ने कहा, ‘इस साल अंटार्कटिक ओजोन छेद असाधारण रूप से छोटा पाया गया है।’" इस साल ओजोन छेद में इस परिवर्तन के पीछे वैज्ञानिक अंटार्कटिक भंवर की अस्थिरता व ज्यादा गर्मी, जोकि अंटार्कटिक क्षेत्र के वायुमंडल में दक्षिणावर्त बनने वाले समतापमंडलीय निम्न दबाव के कारण उत्पन्न होती है, को मानते हैं। पिछले साल 2016 में ओजोन छेद सबसे 89 लाख वर्ग मील का पाया गया था, जोकि उससे पिछले साल 2015 से 20 लाख वर्ग मील से छोटा था।

सबसे पहले ओजोन छेद का पता 1985 में लगाया गया था। दाक्षिणी गोलार्ध में सिंतबर से दिसंबर के दौरान शीत ऋतु के बाद सूर्य की किरणों की वापसी से जो उत्प्रेरक प्रभाव पड़ता है, उससे अंटार्कटिक क्षेत्र में ओजोन छेद का निर्माण होता है। अमूमन धरती से 25 मील ऊपर समतापमंडल में ओजोन परत है, जोकि सनस्क्रीन की तरह काम करती है और पृथ्वी को सूर्य की पराबैंगनी किरणों के हानिकारक प्रभावों से बचाती है। पराबैंगनी किरणों के विकरण से लोगों को कैंसर, मोतियाबिंद जैसे रोगों का खतरा रहता है। साथ ही इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी नष्ट हो सकती है।

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