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Hindi News विदेश अमेरिका परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का आदेश दे सकते हैं डोनाल्ड ट्रंप! पोलसी ने जताई चिंता

परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का आदेश दे सकते हैं डोनाल्ड ट्रंप! पोलसी ने जताई चिंता

परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का आदेश दे सकते हैं डोनाल्ड ट्रंप, पोलसी ने जताई चिंता

<p>परमाणु हथियारों के...- India TV Hindi Image Source : AP परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का आदेश दे सकते हैं डोनाल्ड ट्रंप, पोलसी ने जताई चिंता

वाशिंगटन। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने आशंका जतायी है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का आदेश दे सकते हैं। इसमें एक ऐसे तथ्य को रेखांकित किया गया है, जिससे कम ही लोग अवगत हैं और वह यह है कि इन हथियारों को लेकर अधिकारी केवल राष्ट्रपति के प्रति ही जवाबदेह हैं। इससे एक बार फिर वही सवाल उठ खड़ा हुआ है कि अगर कोई सैन्य कमांडर कानून के आधार पर यह तय कर ले कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का राष्ट्रपति का आदेश अवैध है तो फिर क्या होगा? कमांडर ऐसे किसी भी आदेश को नकार दे तो क्या होगा? इस सवाल का कोई स्पष्ट जवाब नहीं है।

बहरहाल, ट्रंप ने इस बात का कोई संकेत नहीं दिया है कि वह परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर विचार कर रहे हैं, लेकिन पेलोसी ने चिंता जताई है कि ''बौखलाए'' राष्ट्रपति युद्ध छेड़ सकते हैं। पेलोसी ने कहा कि उन्होंने शुक्रवार को ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिली से मुलाकात कर ऐहतियाती कदमों पर चर्चा की और उन्होंने अपने साथियों को बताया है कि उन्हें सुरक्षा को लेकर आश्वासन दिया गया है। मिली के प्रवक्ता कोल डेव बटलर ने इस बात की पुष्टि की है कि पेलोसी ने मिली की मुलाकात के लिये बुलाया था। बटलर ने कहा, ''उन्होंने (मिली) ने उन्हें (पेलोसी को) परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की प्रक्रिया के बारे में बताया है।''

इस बीच, तथ्य यह है कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर अधिकारी केवल राष्ट्रपति के आदेश के प्रति बाध्यकारी हैं। ऐसे में इस बात को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं कि अगर ट्रंप ने इनके इस्तेमाल का आदेश दिया तो फिर क्या होगा। पेलोसी की चिंताओं में 1940 के परमाणु काल को रेखांकित किया गया है कि राष्ट्रपति के पास ही परमाणु हमले का आदेश देने का अधिकार होता है। हैरी ट्रूमेन के बाद से किसी भी राष्ट्रपति ने परमाणु हमले का आदेश नहीं दिया है। राष्ट्रपति को अपने प्रशासन, सेना या कांग्रेस में किसी की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होती।

बहरहाल, कुछ ऐसे प्रावधान हैं जो महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। यह अभूतपूर्व होगा अगर कोई सैन्य अधिकारी परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के राष्ट्रपति के आदेश को इस आधार पर मानने से इनकार कर दें कि कानूनी मूल्यांकन के अनुसार यह आदेश अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सशस्त्र संघर्ष से संबंधित कानूनों के तहत अवैध है। परमाणु खतरों तथा राष्ट्रपति की शक्ति पर आधारित पूर्व रक्षा सचिव विलियम जे पेरी की पुस्तक ''द बटन'' के सह-लेखक टॉम जेड कॉलिना ने कहा, ''अगर सेना को राष्ट्रपति की ओर से गैरवाजिब आदेश मिलता है तो सेना यह कहकर उस आदेश को मानने से इनकार कर सकती है कि वह आदेश तर्कसंगत नहीं है।''

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