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एच-1बी वीजा पर नए प्रतिबंधों को लेकर डेमोक्रेट नेताओं ने की ट्रम्प प्रशासन की आलोचना

डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने राष्ट्रपति पद के चुनाव से ठीक पहले उचित सार्वजनिक समीक्षा के बिना एच-1बी वीजा कार्यक्रम में बड़े बदलावों को लेकर डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व वाले प्रशासन की कड़ी आलोचना की।

Democrats flay Trump for announcing new curbs on H-1B visas sans public scrutiny- India TV Hindi Image Source : FILE Democrats flay Trump for announcing new curbs on H-1B visas sans public scrutiny

वाशिंगटन। डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने राष्ट्रपति पद के चुनाव से ठीक पहले उचित सार्वजनिक समीक्षा के बिना एच-1बी वीजा कार्यक्रम में बड़े बदलावों को लेकर डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व वाले प्रशासन की कड़ी आलोचना की। इस आलोचना के जवाब में सत्तारूढ़ रिपब्लिकन नेताओं ने कहा कि ये कदम 'उच्च दक्षता वाले आगंतुक कर्मी कार्यक्रम' के दुरुपयोग की समस्या को दूर करेगा, जिसके कारण कम वेतन वाले विदेशी कर्मी नौकरियों में अमेरिकी कर्मियों का 'स्थान ले लेते' थे। 

बता दें कि, एच-1बी एक गैर प्रवासी वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को ऐसे विशेष व्यवसायों में नियुक्त करने की अनुमति देता है, जिनमें सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। अमेरिका सरकार ने स्थानीय कामगारों की सुरक्षा के लिए चुनाव से पहले एच-1बी वीजा को लेकर नयी पाबंदियां लगा दी हैं। यह एक ऐसा कदम है, जिसका प्रभाव भारत के हजारों आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) पेशेवरों पर पड़ने की आशंका है। 

अमेरिका के गृह मंत्रालय द्वारा मंगलवार को घोषित अंतरिम नियम से ‘विशेष व्यवसाय’ की परिभाषा का दायरा संकुचित हो जाएगा। कंपनियां विशेष व्यवसाय की परिभाषा के आधार पर बाहरी कर्मचारियों के लिए एच-1बी वीजा का आवेदन करती हैं। ट्रम्प सरकार ने यह बदलाव ऐसे समय किया है, जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में अब चार सप्ताह से भी कम समय बचा है। मंत्रालय के अनुसार नया नियम 60 दिनों में प्रभावी होगा।

प्रतिनिधि सभा की न्यायिक समिति के अध्यक्ष जेरोल्ड नाडलर ने कहा, 'चुनाव से 30 दिन पहले अमेरिकी प्रशासन ने घोषणा की कि वह एच-1बी वीजा कार्यक्रम में ऐसे बड़े बदलाव करेगा जो पिछले कई दशकों में नहीं हुए हैं और वे प्रशासनिक प्रक्रिया कानून के तहत अनिवार्य सामान्य नोटिस एवं टिप्पणी प्रक्रिया के बिना ऐसा करेंगे।' 

डेमोक्रटिक नेता ने कहा कि हालांकि इन सुधारों से कार्यक्रम को निश्चित ही लाभ होगा, लेकिन अमेरिकी कानूनों के लिए अनिवार्य है कि इस प्रकार के सुधार लागू किए जाने से पहले लोगों को पर्याप्त नोटिस दिया जाए और सुधारों से पहले टिप्पणी करने का अर्थपूर्ण अवसर दिया जाए। प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों कर्मियों की नियुक्ति के लिए इस वीजा पर निर्भर हैं।

ट्रम्प प्रशासन के इस तरह के निर्णय से हजारों भारतीय आईटी पेशेवरों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, वह भी ऐसे समय जब कोरोना वायरस से संबंधित महामारी की वजह से बड़ी संख्या में एच-1बी वीजा धारक भारतीय कर्मियों की नौकरी चली गई है और वे स्वदेश लौट गए हैं तथा महामारी का अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव प्रड़ा है। आव्रजन एवं नागरिकता उपसमिति की अध्यक्ष जो लोफग्रेन ने कहा कि उन्होंने पिछले कुछ साल में एच-1बी कार्यक्रम में सुधार के लिए कई विधेयक लागू किए हैं, इसके बावजूद 'प्रणाली में अद्यतन की आवश्यकता है, लेकिन लोगों की पर्याप्त प्रतिक्रिया के बिना इसे जल्दबाजी में लागू नहीं किया जा सकता।'

इस बीच, रिपब्लिकन सीनेटर चक ग्रेसले ने कार्यक्रम के 'व्यापक दुरुपयोग पर नकेल कसने' के कदम की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि वह लंबे समय से चिंता व्यक्त करते रहे हैं कि एच-1बी वीजा कार्यक्रम मौजूदा स्वरूप में अमेरिकी कर्मियों के वेतन और नौकरी के अवसरों को कमतर करता है तथा इसकी वजह से अमेरिकी कर्मियों की नौकरी की सुरक्षा के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।

ग्रेसले ने कहा, 'एच-1बी वीजा कार्यक्रम का दुरुपयोग प्राय: अमेरिकी कर्मियों की जगह कम वेतन में विदेशी कर्मियों को नौकरी देने के लिए किया जाता है। इस दुरुपयोग को रोके जाने की आवश्यकता है। मैं प्रयासों का मजबूती से समर्थन करता हूं।' 'अमेरिकन इमिग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन' ने ट्रम्प प्रशासन के निर्णय का विरोध किया है। 

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