संयुक्त राष्ट्र: भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार और उसके विस्तार पर जोर देते हुए कहा कि कुछेक सदस्य देशों ने संयुक्त राष्ट्र की मौजूदा संरचना बीते युग के लिए बनाई थी। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन में प्रथम सचिव येदला उमाशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की एक समिति से कहा कि प्रभावी बहुपक्षवाद और अंतर्राष्ट्रीय कानून के लिए यह जरूरी है कि वैश्विक शासन अवसंरचना में समकालीन हकीकतों की झलक होनी चाहिए।
‘राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानून का शासन’ विषय पर एक बहस में चर्चा लेते हुए गुरुवार को उन्होंने कहा, ‘वैधता और प्रभावीपन को बरकरार रखने के लिए इन ढांचों खासकर सुरक्षा परिषद में मूलभूत सुधार की आवश्यकता है।’ भारत के साथ ब्राजील, जर्मनी और जापान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार की मांग कर रहे हैं। उमाशंकर ने कहा कि कानून स्थिर नहीं होते, वे समाज में बदलावों और मौजूदा प्रौद्योगिकियों से परिस्थितियों में आए बदलावों के अनुसार विकसित होते रहते हैं।
उन्होंने कहा, ‘बदलावों में कई पुराने कानून और अनावश्यक नियम छोड़े जाते हैं। 7 दशक पहले अपनाए गए भारत के संविधान में 100 से ज्यादा संशोधन हो चुके हैं।’ उमाशंकर ने कहा कि कुछ सदस्य देशों ने संयुक्त राष्ट्र की मौजूदा संरचना बीते युग के लिए बनाई थी। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का बढ़ना चिंताजनक स्थिति है जो सभी पर असर डाल रहा है और इससे निपटने के लिए प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है। हालांकि संकीर्ण भू-राजनीतिक हितों के कारण इस मुद्दे पर कानून बनाने से बचा जा रहा है।
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