न्यूयॉर्क: अमेरिका में हुए एक नए शोध में पाया गया है कि अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के मरीजों को स्ट्रोक लगने का अधिक खतरा रहता है। यह खतरा उन मरीजों की तुलना में अधिक होता है, जिनमें पहले के शोध में इन्फ्लूएंजा और सेप्सिस जैसी संक्रामक स्थितियां पाई गई थीं। अंतर्राष्ट्रीय स्ट्रोक कॉन्फ्रेंस 2021 में प्रस्तुत शोध के निष्कर्ष से पता चला है कि कोविड-19 कार्डियोवस्कुलर डिजीज रजिस्ट्री में 1.4 प्रतिशत मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने के दौरान नैदानिक इमेजिंग द्वारा पुष्टि की गई थी। इनमें से 52.7 प्रतिशत मरीजों ने इस्कीमिक स्ट्रोक का अनुभव किया, 2.5 प्रतिशत को क्षणिक इस्केमिक अटैक (टीआईए) आया और 45.2 प्रतिशत ने रक्तस्राव स्ट्रोक या अनिर्दिष्ट प्रकार के स्ट्रोक का अनुभव किया।
वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के प्रमुख लेखक सैटे एस. शकील ने कहा, ‘इन निष्कर्षो से पता चलता है कि कोविड-19 स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है, हालांकि इससे संबंधित सटीक तंत्र अभी भी अज्ञात है। जैसा कि महामारी जारी है, हम पा रहे हैं कि कोरोनावायरस सिर्फ एक श्वसन बीमारी नहीं है, बल्कि एक संवहनी बीमारी है जो कई अंग प्रणालियों को प्रभावित कर सकती है।’ टीम ने अध्ययन के लिए अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के कोविड-19 सीवीडी रजिस्ट्री का सहारा लिया, जिसमें पूरे अमेरिका के अस्पतालों में भर्ती कोविड-19 के साथ 20,000 से ज्यादा मरीज शामिल थे।
विश्लेषण में यह भी पाया गया कि स्ट्रोक वाले रोगियों की तुलना में किसी भी प्रकार के स्ट्रोक वाले पुरुष और वृद्ध (औसत उम्र 65) होने की संभावना अधिक थी। अधिकांश इस्केमिक स्ट्रोक के रोगियों में बिना स्ट्रोक के रोगियों की तुलना में उच्च रक्तचाप था। शकील ने कहा, ‘अपने दम पर स्ट्रोक के विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं और कोविड-19 से उबरना अक्सर जीवित रहने वालों के लिए एक कठिन रास्ता होता है। यह पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है कि हम सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप और व्यापक वैक्सीन वितरण के माध्यम से कोविड-19 के प्रसार पर अंकुश लगा सकते हैं।’ (IANS)
Latest World News