चीन की वुहान लैब से ही आया Coronavirus, डोनल्ड ट्रंप का दावा-उनके पास हैं ठोस सबूत
ट्रंप से एक पत्रकार ने जब पूछा कि क्या वो समझते हैं कि चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी का कोरोना वायरस से कोई संबंध है। इस पर ट्रंप ने कहा कि हां वो ऐसा ही सोचते हैं और ऐसा सोचने के लिए उनके पास कुछ सबूत भी हैं।
नई दिल्ली: कोरोना संकट को लेकर अमेरिका ने चीन पर एक बार फिर हमला बोला है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल़्ड ट्रंप ने एक बार फिर से चीन के बहाने वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन को आड़े हाथों लिया है। ट्रंप से एक पत्रकार ने जब पूछा कि क्या वो समझते हैं कि चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी का कोरोना वायरस से कोई संबंध है। इस पर ट्रंप ने कहा कि हां वो ऐसा ही सोचते हैं और ऐसा सोचने के लिए उनके पास कुछ सबूत भी हैं। बता दें कि कोरोना को लेकर कई दावे किए जा रहे हैं और हर दावे के पीछे अपनी-अपनी थ्योरी है।
कोरोना वायरस चीन की लैब में एक रिसर्च के दौरान पैदा हुआ और वहां जो रिसर्च चल रही थी उसकी फंडिंग अमेरिका कर रहा था। अमेरिका ने इस रिसर्च के लिये 28 करोड़ रुपये की फंडिंग की थी। ऐसा अंतरराष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्ट में दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक़ कोरोना वायरस को लेकर शुरुआत से शक के दायरे में रहा चीन का वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी चमगादड़ों पर रिसर्च कर रहा था। इसके लिये वुहान से क़रीब डेढ़ हज़ार किलोमीटर दूर यूनन प्रांत से चमगादड़ों को पकड़ कर वुहान लाया गया। इन चमगादड़ों को गुफाओं से पकड़ा गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक़ वुहान इंस्टीट्यूट में चमगादड़ पर रिसर्च अप्रैल 2011 से अक्टूबर 2015 तक चली। इस दौरान चीन के यूनान में एक ही गुफा से चमगादड़ों को पकड़ा गया और उनके सैंपल लिये गये और इसकी पूरी फंडिंग अमेरिका से हो रही थी। अब तक कहा जाता रहा है कि कोरोना वायरस का जन्म वुहान के उस बाज़ार में हुआ जहां चमगादड़ समेत कई जानवरों का मीट बेचा जाता है लेकिन वुहान की लैब में किसी हादसे की संभावना को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट में कई बातों का ज़िक्र किया गया है। इस बात की पुष्टि नहीं हुई है लेकिन कहा जा रहा है कि वुहान लैब में कोई वैज्ञानिक इस वायरस से सबसे पहले संक्रमित हुआ और ऐसा तब हुआ जब एक हादसे के दौरान उसका शरीर ऐसे ख़ून के संपर्क में आ गया जिसमें ये वायरस था और इसके बाद ये वायरस वुहान के आबादी में फैलने की सबसे बड़ी वजह बन गया।
हैरत की बात ये कि वुहान लैब को आज भी अमेरिका की तरफ़ से फंडिंग जारी है। चीन में अब भी वायरस को लेकर जांच चल रही है। लैब में साइंटिस्ट ये जानने की कोशिश कर रहे हैं कि शुरुआत में वायरस कैसे फैला। वुहान के जिनयितान अस्पताल के एक डॉक्टर काओ बिन की स्डटी बताती है कि कोरोना वायरस जानवरों के बाज़ार में नहीं पनपा है। उनकी रिसर्च बताती है कि चीन में कोरोना के पहले 41 मरीज़ों में 13 मरीज़ को जो संक्रमण हुआ उसकी वजह जानवरों का बाज़ार नहीं था।
इससे ज़ाहिर है कि सिर्फ़ जानवरों का बाज़ार ही वायरस फैलने की वजह नहीं है बल्कि इसका लिंक अब सीधे वुहान लैब से जुड़ता नज़र आ रहा है। ये बाज़ार वुहान लैब से कुछ किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसे में कोरोना वायरस फैलने की एक और थ्योरी है जिसको नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। अमेरिका की एक संस्था White Coat Waste के अध्यक्ष Anthony Bellotti ने एक थ्योरी दी है। उनका कहना है कि मुमकिन है जिन चमगादड़ों पर वुहान लैब में जांच चल रही थी उन्हें रिसर्च के बाद वुहान के जानवरों के बाज़ार में बेच दिया गया और ऐसे ही ये वायरस आबादी में फैल गया।
कोरोना कैसे फैला. इसे लेकर कई अंतरराष्ट्रीय थ्योरी आ चुकी है। चीन से लेकर अमेरिका तक पर ये इल्ज़ाम लग रहे हैं कि उन्होंने कोरोना वायरस को ईजाद किया ताकि वो एक दूसरे की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर सकें। अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने तो बार-बार ट्वीट करके कोरोना वायरस को चाइनीज़ वायरस बताया। 17 मार्च को जब उनसे इस पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने अपने दावे का ये कहते हुए बचाव किया कि ये वायरस चीन से आया है।
इसे लेकर यह बहस भी जारी है कि क्या ये जैविक हथियार है। इसे नकारा नहीं जा सकता। जैविक हथियार ऐसे वायरस या बैक्टीरिया से बनाये जाते हैं जो दुश्मन के इलाक़े में ऐसी बीमारी पैदा करते हैं जिससे महामारी फैल जाती है। इससे दुश्मन की सेना भी मरती है और ये आम लोगों की भी जान लेती है। इससे लोग अपंग हो जाते हैं, फ़सल ख़राब हो जाती है और पानी दूषित हो जाता है।
कोरोना की शुरुआत चीन के वुहान से हुई है और शुरुआत में ऐसे दावे किये गये कि चीन की सेना ने वुहान की एक सीक्रेट लैब में कोरोना को जैविक हथियार के तौर पर तैयार किया लेकिन किसी हादसे या लापरवाही की वजह से ये चीन में ही फैल गया क्योंकि चीन इसे क़ाबू करने के लिये तैयार नहीं था। इन दावों के सेंटर में वुहान की वो सीक्रेट लैब रही जहां कोरोना वायरस तैयार किये जाने का शक है लेकिन हैरत है कि इस लैब को अमेरिका की तरफ़ से फंडिंग हो रही थी।
वुहान की सीक्रेट लैब पर सबसे बड़ा शक तब हुआ जब इसे पूरी तरह मिलिट्री कंट्रोल में दे दिया गया। चीन ने अपनी एक महिला जनरल जो biological weapon expert है उसे वुहान की सीक्रेट लैब का नया इंचार्ज बना दिया। चेन-वे चीन की सेना में मेजर जनरल हैं और अब वो वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी की नई बॉस हैं इसलिये जब पूरी दुनिया सवाल पूछ रही है कि आख़िर कोरोना फैला कैसे तब सेना की एक अफ़सर को लैब का चार्ज देना बहुत ही शक की निगाह से देखा गया। क़यास लगाए गये कि वुहान लैब जिसमें चीन की सेना का दख़ल रहा है अब उसे नये सिरे से कंट्रोल करके कुछ ऐसा किया जा रहा है जो चीन नहीं चाहता दुनिया जाने।