वाशिंगटन: कोरोना का संकट अभी टला नहीं है। डॉक्टर और विशेषज्ञ लगातार लोगों से मास्क पहनने की अपील कर रहे हैं। अब लोगों के मन में फिर से कपड़े के मास्क और सर्जिकल मास्क को लेकर कई तरह की शंकाएं उठ रही हैं। कपड़े का मास्क एक वर्ष तक असरदार हो सकता है, क्योंकि बार-बार धोने और सुखाने से संक्रमण फैलाने वाले कणों को छानने की उनकी क्षमता कम नहीं होती है। एक अध्ययन में यह कहा गया है।
‘एरोसोल एंड एयर क्वालिटी रिसर्च’ शोध पत्रिका में प्रकाशित शोध पिछले अध्ययनों की भी पुष्टि करता है कि सर्जिकल मास्क के ऊपर सूती कपड़े का मास्क लगाना, कपड़े के एक मास्क की तुलना में अधिक सुरक्षा प्रदान करता है। अमेरिका में कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर और अध्ययन की प्रमुख लेखिका मरीना वेंस ने कहा कि पर्यावरण के लिहाज से भी यह अच्छी खबर है। वह कॉटन मास्क जिसे आप धोते, सुखाते और दोबारा इस्तेमाल करते आ रहे हैं। यह शायद अभी भी ठीक है। इसे जल्दी फेंकने की जरूरत नहीं है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से हर दिन अनुमानित तौर पर 7,200 टन चिकित्सा अपशिष्ट उत्पन्न हुआ है जिनमें एक बार इस्तेमाल के बाद फेंक देने वाले मास्क भी हैं। वेंस ने कहा, ‘‘हम महामारी की शुरुआत के बाद से बाहर जाते समय इधर-उधर फेंके गए मास्क को देखकर परेशान थे।’’ शोधकर्ताओं ने कॉटन के दो-परत बनाए, उन्हें एक साल तक बार-बार धोने और सुखाने के माध्यम से परखा, और लगभग हर सात बार की सफाई के दौरान उनका परीक्षण किया।
शोधकर्ताओं ने अलग-अलग तरीके से मास्क के असरदार होने की जांच की। कपास के रेशे बार-बार धोने और सुखाने के बाद टूटने लगे, लेकिन शोधकर्ताओं ने पाया कि इससे कपड़े के अतिसूक्ष्म कणों को छानने की क्षमता पर कोई खास असर नहीं पड़ा। हालांकि, अध्ययन में देखा गया कि कुछ समय बाद इस तरह के मास्क से सांस लेने में थोड़ी मुश्किल होने लगी।
अध्ययन में पाया गया कि सूती कपड़े के मास्क 0.3 माइक्रोन के सूक्ष्म कण को 23 प्रतिशत तक छानने में कामयाब रहे। सर्जिकल मास्क के ऊपर सूती कपड़े के मास्क लगाने से छानने की क्षमता बढ़कर 40 प्रतिशत हो गयी। शोधकर्ताओं ने कहा कि केएन-95 और एन-95 मास्क ने इन सूक्ष्म कणों में से 83-99 प्रतिशत को छानकर सबसे अच्छा प्रदर्शन किया।
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