मसूद अजहर पर चीन के फैसले से 'भारत-चीन संबंधों को' पहुंच सकता है गंभीर नुकसान
पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकवादी सूची में शामिल करने की कोशिश को बाधित करने का चीन का हालिया फैसला भारत के साथ उसके संबंधों को ‘‘गंभीर नुकसान’’ पहुंचा रहा है।
वाशिंगटन: पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकवादी सूची में शामिल करने की कोशिश को बाधित करने का चीन का हालिया फैसला भारत के साथ उसके संबंधों को ‘‘गंभीर नुकसान’’ पहुंचा रहा है। शीर्ष अमेरिकी विशेषज्ञों ने आज यह बात कही। चीन ने गत सप्ताह संयुक्त राष्ट्र में अजहर को वैश्विक आतंकवादी की सूची में डालने की अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन की कोशिश को बाधित किया था। इसके लिए उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों के बीच आम राय ना होने का हवाला दिया था। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो का अधिकार रखने वाले स्थायी सदस्य चीन ने परिषद की अल-कायदा प्रतिबंध समिति के तहत अजहर को आतंकवादी घोषित करने के भारत के प्रयासों में बार-बार अड़ंगा डाला है। (UN ने बनाया दबाव, म्यांमार रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस घर लौटने की दे अनुमति)
अपने इस कदम से पाकिस्तान को लाभ पहुंचाना चाहता है चीन
हेरिटेज फाउंडेशन के जेफ स्मिथ ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह चीन की तरफ से उठाया गया दुर्भाग्यपूर्ण कदम है और मैं संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के जाने पहचाने आतंकवादियों पर प्रतिबंधों को लगातार बाधित करने के लिए दिए गए तर्क पर सवाल करता हूं।’’ स्मिथ ने कहा कि चीन अपने इस कदम को स्पष्ट तौर पर अपने सदाबहार दोस्त पाकिस्तान को लाभ पहुंचाने के तौर पर देख रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘चीन के कदम पहले से ही तनावपूर्ण चीन-भारत संबंधों को गंभीर नुकसान भी पहुंचा रहे हैं।’’ संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्य अमेरिका ने कहा कि किसी व्यक्ति या संस्था को 1267 प्रतिबंध सूची में शामिल करने पर समिति की चर्चा गोपनीय है। न्यूयॉर्क में अमेरिकी मिशन के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘बहरहाल, हम जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक और नेता अजहर को 1267 प्रतिबंधों की सूची में शामिल करने की कोशिशों का समर्थन करेंगे और दूसरे सदस्यों को भी इसका समर्थन करने के लिए प्रेरित करेंगे।’’
चीन का यह कदम चीन-पाकिस्तान की मिलीभगत के भारत के विश्वास की पुष्टि करता है
अमेरिकी थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआईएस) के रिक रॉसोव ने कहा कि चीन का हालिया कदम चीन-पाकिस्तान की मिलीभगत के भारत के विश्वास की पुष्टि करता है। रॉसोव ने कहा, ‘‘इस फैसले का समर्थन करके चीन, भारत के साथ अपने संबंधों को फिर से बनाने की ओर महत्वपूर्ण कदम उठा सकता था लेकिन उसने अलग रास्ता चुना।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसका समय महत्वपूर्ण है, यह ऐसे समय पर उठाया गया कदम है जब अमेरिका ने आतंकवाद का समर्थन करने को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रूख अपनाया हुआ है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की तरह यह फैसला इस अस्थिरता के दौर में चीन की ओर से पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण है।’’
15 सदस्यीय देशों में से केवल चीन ने किया भारत की अर्जी को बाधित
गौरतलब है कि गत वर्ष मार्च में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यीय देशों में से केवल चीन ही इकलौता देश था जिसने भारत की अर्जी को बाधित किया। अन्य 14 देशों ने अजहर पर प्रतिबंध लगाने के भारत के प्रयासों का समर्थन किया। इन प्रतिबंधों में संपत्ति जब्त करना और यात्रा प्रतिबंध लगाना शामिल हैं। अजहर पर जनवरी 2016 में पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर हमले समेत भारत में कई आतंकवादी हमले करने का आरोप है।