वाशिंगटन: अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से अफगानिस्तान से अमेरिका के निकलने की बाइडन प्रशासन की योजना को लेकर लगातार दूसरे दिन कड़े सवाल पूछे गए। इस योजना की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचना हुई है। मंगलवार को सीनेट की विदेश संबंध समिति के सामने पेश हुए ब्लिंकन से सांसदों ने अनेक अमेरिकी नागरिकों, ग्रीन कार्ड धारकों को अफगानिस्तान में छोड़े जाने और उस देश में फंसे अफगानों के सामने पैदा हुए खतरों के बारे में सवाल किये गए। समिति के दो शीर्ष सदस्यों, न्यूजर्सी से डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य बॉब मेनेंडेज और इडाहो से रिपब्लिकन पार्टी के सांसद जेम्स रिस्च दोनों ने अपने शुरुआती भाषण में इस वापसी को पराजय करार दिया।
समिति के अध्यक्ष मेनेंडेज ने कहा कि वापसी स्पष्ट रूप से घातक और त्रुटिपूर्ण थी। मेनेंडेज आमतौर पर राष्ट्रपति जो बाइडन की विदेश नीति का समर्थन करते रहे हैं लेकिन इस बार उन्होंने विदेश नीति के कई पहलुओं पर सवाल उठाए। रिस्च ने कहा, ''वापसी निराशाजनक विफलता थी।'' ब्लिंकन ने फिर से ट्रंप प्रशासन को, तालिबान के साथ फरवरी 2020 के शांति समझौते के लिए दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि बाइडेन के हाथ बंधे थे। इसके अलावा अफगान सरकार और सुरक्षा बलों के त्वरित और अप्रत्याशित पतन के कारण तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया।
रिपब्लिकन सांसदों ने अफगानिस्तान से अमेरकी सेना की वापसी की प्रक्रिया को तबाही और अपमान बताया। कुछ डेमोक्रेट्स सांसदों ने कहा कि यह अभियान बेहतर तरीके से चलाया जा सकता था जबकि कई अन्य ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना की। विदेश विभाग को अमेरिकी नागरिकों, वैध निवासियों और खतरे में पड़े अफगान नागरिकों को अफगानिस्तान से बाहर निकालने के लिए पर्याप्त और तेजी से कदम न उठाने के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
ब्लिंकन ने कहा कि जनवरी 2021 तक, तालिबान 9/11 के बाद से अपनी सबसे मजबूत सैन्य स्थिति में था और 2001 के बाद से हमारे पास अफगानिस्तान में सबसे कम अमेरिकी सेना थे। राष्ट्रपति बाइडेन को युद्ध को समाप्त करने या इसे आगे बढ़ाने के विकल्प का सामना करना पड़ा। अगर उन्होंने अपने पूर्ववर्ती की प्रतिबद्धता का पालन नहीं किया होता, तो हमारी सेनाओं और हमारे सहयोगियों पर हमले फिर से शुरू हो जाते और अफगानिस्तान के प्रमुख शहरों पर तालिबान का हमला शुरू हो जाता।
ब्लिंकन ने कहा, "इसके लिए अफगानिस्तान में खुद को बचाने और तालिबान के कब्जे को रोकने के लिए, हताहतों की संख्या और इसके साथ हीं गतिरोध बहाल होने की संभावना और अफगानिस्तान में अनिश्चितकाल तक फंसे रहने की संभावना को रोकने के लिए अफगानिस्तान में काफी अधिक अमेरिकी सेनिकों को भेजने की आवश्यकता होती।"
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