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अमेरिका ने पाक को चेताया, भारत शांत नहीं बैठेगा अगर उसके सैनिकों पर हमला होता रहा

अमेरिका के एक वरिष्ठ सांसद ने पाकिस्तान से उसके क्षेत्र के भीतर सक्रिय कट्टरपंथी ताकतों पर कार्रवाई करने की मांग करते हुए इस्लामाबाद को आगाह किया कि अगर भारत के सैनिकों और उसके नागरिकों पर हमले होते रहे तो वह चुप नहीं बैठेगा।

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वाशिंगटन: अमेरिका के एक वरिष्ठ सांसद ने पाकिस्तान से उसके क्षेत्र के भीतर सक्रिय कट्टरपंथी ताकतों पर कार्रवाई करने की मांग करते हुए इस्लामाबाद को आगाह किया कि अगर भारत के सैनिकों और उसके नागरिकों पर हमले होते रहे तो वह चुप नहीं बैठेगा। हाउस डेमोक्रेटिक कॉकस के अध्यक्ष जो क्राउले ने बताया कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों की गतिविधियों के कारण पिछले कुछ माहिनों से भारत पाक सीमा पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। उन्होंने ट्रंप प्रशासन से देश पर ज्यादा दबाव बनाने की मांग की। (अमेरिका ने दी उत्तर कोरिया जाने वाले अपने नागरिकों को चेतावनी)

एक प्रश्न के उत्तर में सांसद ने कहा, (उन्हें) पाकिस्तान का समर्थन है। उन्हें (ट्रंप प्रशासन) पाकिस्तान पर भारत पाकिस्तान सीमा पर तनाव फैलाने वाले लश्कर ए तैयबा तथा अन्य आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बनाने के लिए और प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि यहां इस बात पर जोर है कि उन्हें (पाकिस्तान) अपने क्षेत्र के अंदर सक्रिय हिंसक और कट्टरपंथी संगठनों के सफाए के लिए और प्रयास किए जाने की जरूरत है क्योंकि अगर भारत के नागरिकों और सैनिकों पर हमले होते रहे तो वह चुप नहीं बैठेगा। सांसद ने कहा कि इन मुद्दों को दोनों देशों को द्विपक्षीय तरीके से हल करना चाहिए।

क्राउले ने कहा, लेकिन मेरा मानना है कि एक भूमिका है जो अमेरिका निभा सकता है और वह यह कि भारत और पाकिस्तान का मित्र होने के नाते अमेरिका क्षेत्र में शांति और समन्वय का मार्ग तलाशने के लिए मित्र देशों पर दबाव बना सकता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि ट्रंप प्रशासन अफगानिस्तान नीति पर भारत से जानकारी मांगेगा। माना जा रहा है कि उसे अंतिम रूप दिए जाने के लिए काम चल रहा है।

क्राउले ने कहा, मैं यकीनन यह उम्मीद करता हूं कि राष्ट्रपति और विदेश मंत्रालय भारत सरकार की राय को ध्यान में रखेगा। भारतीय जनता और सरकार ने लगातार आतंकवादी हमले झेले हैं। उन्होंने कहा कि कोई सिद्धांत बनाने से पहले अफगानी जनता और भरतीय जनता के बीच ऐतिहासिक संबंधों को ध्यान में रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस तरह के सिद्धांत की जरूरत आंतकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रखते हुए क्षेत्र में शांति और समन्वय को बनाने रखने के लिए है।

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