वाशिंगटन: अमेरिका ने पाकिस्तान के आम चुनाव की निष्पक्षता पर संदेह जताया है। इन चुनावों में इमरान खान की पार्टी को सेना का समर्थन मिला जबकि पीएमएल - एन और पीपीपी ने बंदिशों में अपना प्रचार किया। ट्रंप प्रशासन ने कहा कि वह पाकिस्तान में स्थिति की करीब से निगरानी कर रहा है , लेकिन चुनाव को ‘ स्वतंत्र और निष्पक्ष ’ घोषित करने से इनकार कर दिया। विदेश विभाग ने भी इसकी पुष्टि करने से इनकार कर दिया। पाकिस्तान में अमेरिकी मिशन ने मुख्यत: सुरक्षा कारणों से अपने चुनाव पर्यवेक्षकों को तैनात नहीं किया था। (निर्वाचन आयोग ने चुनाव में धांधली के PML-N के आरोपों को सिरे से खारिज किया )
विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया , ‘‘ हम लगातार घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं और लगातार यह कह रहे हैं कि हम पाकिस्तान में स्वतंत्र , निष्पक्ष , पारदर्शी और जवाबदेह चुनाव का समर्थन करते हैं। पूरी दुनिया में भी हम इसी का समर्थन करते हैं।’’ अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रहे हुसैन हक्कानी ने कहा कि चुनाव के नतीजे ‘ पहले से ही तय ’ थे। उन्होंने कहा कि पीएमएल - एन और पीपीपी ने बंदिशों में अपना अभियान चलाया , जबकि पीटीआई ने पूरी तरह से स्वतंत्र रूप से प्रचार किया और सरकारी प्रतिष्ठान उसका साथ दे रहे थे।
हडसन इंस्टीट्यूट थिंक-टैंक से जुड़े हक्कानी ने कहा कि नतीजों से पाकिस्तान में कुछ बदलने की संभावना नहीं है। जब तक सेना की अगुवाई वाले प्रतिष्ठान ‘ जिहादी गतिविधियां बंद कर’’ उन्हें देश के लिए गलत और आर्थिक परेशानियों का सबब नहीं मान लेते, कुछ नहीं बदलने वाला। उन्होंने कहा कि जिहादियों के मकसद के लिए इमरान खान की सहानुभूति देखते हुए इसकी संभावना नहीं है कि प्रधानमंत्री के तौर पर वह जिहादियों के खिलाफ निर्णायक रूप से कार्रवाई करेंगे , लेकिन चमत्कार की आशा की जा सकती है।
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