वाशिंगटन: अमेरिका के ऐतिहासिक परमाणु समझौते से अलग होने के बाद उसके शीर्ष राजनयिक ने कहा कि ईरान के ‘‘ दुर्भावनापूर्ण व्यवहार ’’ का जवाब देने के लिए अमेरिका अब भी यूरोप के साथ मिलकर काम करना चाहता है। विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने अमेरिका के सहयोगियों के साथ नए समन्वय के आयाम पर बात की तो अन्य शीर्ष सहायक ने यूरोप को याद दिलाया कि अगर उन्होंने पश्चिम एशिया के शक्तिशाली देश के साथ कारोबार करना जारी रखा तो उसकी कंपनियों को प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। यह बयान तब सामने आया है जब ईरान के विदेश मंत्री ने कहा कि वह इस समझौते के लिए भविष्य में स्पष्ट रूपरेखा बनाने को लेकर आशावादी हैं। (पेरिस में हुए हमले के सिलसिले में जांचकर्ताओं ने तहकीकात तेज की )
ट्रंप ने गत मंगलवार को घोषणा की थी कि अमेरिका 2015 के परमाणु समझौते से अलग हो रहा है। इस समझौते पर चीन , रूस , फ्रांस , ब्रिटेन और जर्मनी ने भी हस्ताक्षर किए थे। बहरहाल , विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका अपने यूरोपीय साझेदारों के साथ समझौते पर व्यापक बातचीत करना चाहता है। कुछ दिन पहले ही विदेश मंत्री का कार्यभार संभालने वाले पोम्पिओ को राष्ट्रपति ने एक ऐसा समझौता करने का जिम्मा सौंपा है जो अमेरिका के हितों की रक्षा करता हो। अमेरिका के शीर्ष राजनयिक ने कहा , ‘‘ हम यही करने जा रहे हैं और मैं आने वाले दिनों में यूरोपीय देशों के साथ कड़ी मेहनत करुंगा। ’’
उन्होंने कहा , ‘‘ मैं आशावादी हूं कि आने वाले दिनों और सप्ताहों में हम ऐसा समझौता लेकर आ सकते हैं जो असल में काम का होगा जो ना केवल ईरान के परमाणु कार्यक्रम बल्कि उसकी मिसाइलों और दुर्व्यवहार से दुनिया की सही मायने में रक्षा करेगा। ’’ ट्रंप प्रशासन ने कहा कि परमाणु समझौते के तहत प्रतिबंध हटाने से ईरान को अपनी सेना मजबूत करने में मदद मिलेगी। ट्रंप ने रविवार को कहा कि उनके फैसले से ईरान की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं पर लगाम लगेगी।
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