न्यूयॉर्क: भारत में 2015 तक छह सालों की अवधि में हुई हत्याओं की कुल दर में दस फीसदी की कमी दर्ज की गई है लेकिन उत्तर भारत के कुछ राज्यों में इसमें ‘‘पर्याप्त’’ वृद्धि देखी गई। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध विभाग (यूएनओडीसी) ने ‘हत्याओं पर वैश्विक अध्ययन 2019’ नामक शीर्षक से सोमवार को जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। इसमें कहा गया कि साल 2017 में विश्व में कुल चार लाख 64 हजार हत्याएं हुईं जबकि साल 1992 में यह आंकड़ा तीन लाख 95 हजार 542 का था।
भारत की बात करें तो यहां साल 2000 में 48,167 हत्याएं हुईं थीं जबकि 2010 में यह घटकर 46,460 तथा 2015 में 44,373 और 2016 में 42,678 हत्याएं हुईं। लिंग के हिसाब से अधिक से देखें तो भारत में 2016 में हुई कुल हत्याओं में पुरुषों की संख्या, महिलाओं की तुलना में 20 फीसदी कम थी। इसमें कहा गया है कि कुछ छोटे शहरों में हत्याओं की दर काफी अधिक हो सकती है जबकि बड़े शहरों में हत्याओं की दर, राष्ट्रीय दर के अधिक निकट है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार हत्याओं की शिकार बनीं महिलाओें में से 40 से 50 फीसदी महिलाएं दहेज की वजह से मार दी गईं। दहेज को लेकर की गई हत्याओं की प्रवृत्ति में 1999 से 2016 के मध्य स्थिरता की प्रवृत्ति देखी गई। जादू टोने भी लिंग आधारित हत्याओं की प्रमुख वजह रहा है।
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