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अब तक का सबसे गर्म साल साबित हो रहा है वर्ष 2016: संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी ने कहा है कि इस साल के शुरूआती छह महीनों के वैश्विक तापमान ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इस कारण यह अब तक का सबसे गर्म

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संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी ने कहा है कि इस साल के शुरूआती छह महीनों के वैश्विक तापमान ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इस कारण यह अब तक का सबसे गर्म साल साबित हो रहा है। विश्व मौसमविज्ञान संगठन (WMO) ने कल कहा कि आर्कटिक सागर की बर्फ का जल्दी और तेजी से पिघल जाना उस जलवायु परिवर्तन और कार्बन डाइ ऑक्साइड के स्तरों का एक अन्य संकेत है, जिनके कारण ग्लोबल वॉर्मिंग होती है।

डब्ल्यूएमओ के महासचिव पेट्री तालस ने कहा, एक अन्य माह और एक अन्य रिकॉर्ड। एक और। फिर से एक और। जलवायु परिवर्तन के दशकों से चले आ रहे रिकॉर्ड नए स्तरों पर पहुंच रहे हैं। इनमें 2015-2016 के भीषण अल नीनो की एक अहम भूमिका है। तालस ने कहा कि अल नीनो की घटना, जिसने पृथ्वी के तापमान को पलट दिया, अब यह जा चुकी है लेकिन ग्रीनहाउस गैसों के कारण हुए जलवायु परिवर्तन में बदलाव नहीं होगा।

तालस ने कहा कि इसका नतीजा और अधिक लू, ज्यादा बारिश और भीषण चक्रवातों के रूप में सामने आएगा। नासा के अनुसार, वर्ष 2016 के शुरूआती छह माह में औसत तापमान 19वीं सदी के अंत के पूर्व औद्योगिक काल की तुलना में 1.3 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। डब्ल्यूएमओ अपनी वार्षिक जलवायु रिपोर्ट के लिए वैश्विक तापमान आंकड़ों के आकलन के लिए यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए), नासा के गोडार्ड इंस्टिट्यूट ऑफ स्पेस स्टडीज, ब्रिटेन के मौसम विभाग के कार्यालय के आंकड़ों और यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फॉरकास्टिंग के पुनर्विश्लेषण आंकड़ों का इस्तेमाल करता है।

एनओएए ने कहा कि जनवरी-जून के लिए वैश्विक थल एवं महासागरीय औसत तापमान 20वीं सदी के औसत से 1.05 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। इसने वर्ष 2015 के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। वर्ष 2016 का हर माह गर्म दर्ज किया गया। औसत से ज्यादा गर्म स्थितियों के कारण दुनिया की अधिकतर जमीनें और महासागरीय सतह गर्म पाई गईं। वर्ष 2015 में विकसित हुई अल-नीनो की घटना वर्ष 2016 के शुरूआती छह माह में रिकॉर्ड तापमानों की सबसे बड़ी वजहों में से एक रही। बीसवीं सदी का औसत से कम तापमान दिसंबर 1984 में रहा था।

रिपोर्ट में कहा गया कि कार्बन डाइ ऑक्साइड की मात्रा ने 400 पार्ट पर मिलियन की सांकेतिक सीमा को पार कर लिया है। इस गैस का स्तर मौसम के हिसाब से बदलता तो रहता है लेकिन इसमें वृद्धि ही होती दिख रही है। तालस ने कहा, यह जलवायु परिवर्तन से जुड़े पेरिस समझौते को मंजूरी देने और लागू किए जाने और कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्थाओं एवं नवीकरणीय उर्जा की ओर बढ़ने में तेजी लाने की पहले से भी अधिक अनिवार्यता को रेखांकित करता है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने पिछले साल दिसंबर में अंगीकार किए गए पेरिस समझौते पर अनुमोदन, स्वीकृति के तंत्र पेश करने के लिए 21 सितंबर को नेताओं को एक विशेष समारोह में बुलाया है। यह आयोजन अन्य देशों के लिए भी वर्ष 2016 से पहले इस समझौते को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार करने का अवसर होगा।

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