भारत और अमेरिका के हथियारों से अब थर-थर कांपेगी दुनिया, रक्षा उत्पादन में दोनों देश बनेगें "वर्ल्ड सुपर पॉवर"
भारत और अमेरिकी की रणनीतिक साझेदारी अब व्यापक वैश्विक ग्लोबल स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप में बदलने जा रही है। इसके तहत दोनों देश मिलकर मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही बड़े पैमाने पर रक्षा उत्पादन करेंगे। भारत में बने हथियार अब पूरी दुनिया पर राज करेंगे। अमेरिका भारत का साथ पाकर चीन को काउंटर करने में भी सक्षम होगा।
वाशिंगटन: चीन जैसे दुश्मनों को काउंटर करने के लिए वाशिंगटन में भारत और अमेरिका के बीच बड़ी रक्षा डील हुई है। वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए अमेरिकी कंपनियों ने नई दिल्ली से हाथ मिलाया है। इसमें अमेरिका की प्रमुख रक्षा उत्पादन कंपनियां भारत में "मेक इन इंडिया" के तहत हथियारों का उत्पादन करेंगी। भारत और अमेरिकी की ओर से संयुक्त रूप से बनाए गए ये हथियार अब आने वाले समय में पूरी दुनिया पर राज करेंगे। यानि पूरी दुनिया अब भारत में बने हथियार खरीदेगी। यह भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी, जो भारत और अमेरिका को रक्षा उत्पादन में वर्ल्ड का सुपर पॉवर बना देगी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इन लक्ष्यों के तहत अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन से मुलाकात कर भारत और अमेरिका के आपसी हितों के ‘‘अहम’’ रणनीतिक मामलों पर अपना दृष्टिकोण साझा किया। इससे एक दिन पहले ही भारत और अमेरिका ने अपनी वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए दो प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। सिंह दोनों देशों के बीच व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए अमेरिका की यात्रा पर यहां पहुंचे हैं। सिंह ने शुक्रवार को अपनी बैठक के बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन से मिलकर और आपसी हित के अहम रणनीतिक मामलों पर दृष्टिकोण साझा करके खुशी हुई।’’
भारत में हथियारों के उत्पादन को तैयार अमेरिकी रक्षा कंपनियां
उन्होंने प्रमुख अमेरिकी रक्षा कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ भी ‘‘सार्थक’’ बातचीत की और उन्हें भारतीय भागीदारों के साथ काम करने के लिए आमंत्रित किया ताकि ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम में तेजी लाई जा सके। सिंह ने एक अन्य पोस्ट में लिखा, ‘‘यूएसआईएसपीएफ (भारत अमेरिका रणनीतिक साझेदारी मंच) द्वारा आयोजित गोलमेज सम्मेलन में रक्षा उद्योग की अग्रणी अमेरिकी कंपनियों के साथ सार्थक बातचीत हुई। उन्हें भारतीय भागीदारों के साथ काम करने के लिए आमंत्रित किया ताकि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में हमारे ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम में तेजी लाई जा सके। भारतीय और अमेरिकी कंपनियां साथ मिलकर दुनिया के लिए सह-विकास और सह-उत्पादन करेंगी।’’
2047 में विकसित भारत का लक्ष्य होगा पूरा
यूएसआईएसपीएफ ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘यूएसआईएसपीएफ बोर्ड के सदस्यों और रक्षा उद्योग के नेताओं के साथ एक गोलमेज सम्मेलन में रक्षा मंत्री ने अमेरिका-भारत रक्षा संबंधों, इसमें अभूतपूर्व वृद्धि तथा इस बात पर चर्चा की कि कैसे रक्षा क्षेत्र एवं अमेरिकी कंपनियों का निवेश भारत की विकास गाथा और 2047 के लक्ष्य को हासिल करने में अहम भूमिका निभाएंगे।’’ इसमें कहा गया है कि सिंह ने ‘‘ रक्षा गतिविधियों के माध्यम से रणनीतिक साझेदारी और रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने पर जोर दिया।’’ यूएसआईएसपीएफ के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मुकेश अघी ने कहा कि सिंह ने ‘‘रक्षा संबंधों और रणनीतिक संबंधों के विकास पर बात की, जिसमें निजी क्षेत्र अब साइबर, ड्रोन, एआई, अंतरिक्ष और क्वांटम जैसी महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी के नए क्षेत्रों में गहन रक्षा तालमेल स्थापित करने में अहम भूमिका निभाता है।’’
सिंह ने इससे एक दिन पहले शुक्रवार को अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन से मुलाकात कर दोनों देशों के बीच मौजूदा रक्षा सहयोग गतिविधियों की समीक्षा की। सिंह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मेरे प्रिय मित्र अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के साथ शानदार बैठक हुई। हमने मौजूदा रक्षा सहयोग गतिविधियों की समीक्षा की तथा इसे प्रगाढ़ बनाने के तरीकों पर चर्चा की। आपूर्ति सुरक्षा व्यवस्था पर हस्ताक्षर तथा प्रमुख अमेरिकी कमान में भारतीय अधिकारियों की तैनाती के लिए समझौता ऐतिहासिक घटनाक्रम हैं। (भाषा)