Russia-Ukraine War: आखिर रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध खत्म क्यों नहीं हो रहा है, जानिए इसके पीछे की असली कहानी
Russia-Ukraine War: दुनिया में तीसरे विश्व युद्ध की चिंता बनी हुई है क्योंकि रूस और यूक्रेन का युद्ध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अब आपके मन में भी ये सवाल आ रहा होगा कि आखिर ये युद्ध खत्म क्यों नहीं हो रहा है।
Highlights
- राजधानी कीव का दौरा कर यूक्रेन के प्रति समर्थन जताया था
- इनकी कीमत 4.5 मिलियन डॉलर से अधिक है
- 2014 में सत्ता बदलने के बाद सबसे पहले यूक्रेन को सैन्य सहायता दी थी।
Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच बीते 7 महीने से युद्ध चल रहा है। इस युद्ध का परिणाम अभी तक किसी को नहीं पता क्या होगा। एक समय में ऐसा लगा कि युद्ध में यूक्रेन ने काफी बढ़त बना ली है लेकिन दुसरी तरफ रूस ने यूक्रेन के चार हिस्सों को रूस में मिला लिया और जेलेंस्की इसका सिर्फ विरोध करते रहे। अब ये युद्ध क्यों नहीं खत्म हो रहा है। सबके मन में यहीं सवाल आ रहा है कि आखिर रूस जैसा शक्तिशाली देश यूक्रेन को क्यों नहीं हरा पा रहा है। आखिर यूक्रेन कैसे रूस के नाक में दम किया है। इसके पीछे की वजह भी जानना बेहद जरुरी है। तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर ये युद्ध क्यों नहीं खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।
पहले लगा कि यूक्रेन खत्म हो जाएगा
दोनो देश के बीच जब युद्ध शुरू हुई थी तो लोगों को लगा कि रूस जल्द ही यूक्रेन को बर्बाद कर देगा और युद्ध को जीत जाएगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ ही नहीं। इस समय पुतिन पूरी दुनिया में आलोचनाओं का शिकार हो रहे हैं। यूक्रेन को पश्चिमी देशों से भरपूर समर्थन मिल रहा है। रूस ने कई देशों पर प्रतिबंध लगाया लेकिन इसका असर नहीं हुआ है। इस जंग में अमेरिका यूक्रेन को फुल सपोर्ट कर रहा है। इसलिए यूक्रेन की ताकत और बढ़ गई है।
अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने हाथ आगे बढ़ाया
रूस का आरोप है कि रूस में मार्च 2014 के तख्तापलट में अमेरिका ने अहम भूमिका निभाई थी। अमेरिका ने मार्च से सितंबर, छह महीने तक सैन्य सुधार, अंधेरे में देखने वाले उपकरणों और संचार संबंधित उपकरणों के लिए यूक्रेन को 32 मिलियन डॉलर की मदद की थी। इसके अलावा उसने यूक्रेन को M142 HIMARS रॉकेट सिस्टम, M777 हॉवित्जर, गोला-बारूद, स्ट्रिंगर मिसाइल, हार्पूर मिसाइल, सैनिकों के लिए वर्दी, सैन्य राशन की एक बड़ी खेप सौंपी है।अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 18 दिसंबर, 2014 में अपने कार्यकाल में 'यूक्रेन फ्रीडम सपोर्ट एक्ट' पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे कांग्रेस से मंजूरी मिली थी। तभी से अमेरिका लगातार यूक्रेन को घातक हथियार मुहैया करा रहा है। 2015 में अमेरिका ने यूक्रेन को 230 Humvee बख्तरबंद वाहन और रेवेन ड्रोन दिए थे।
ब्रिटेन- यूक्रेन को हथियार देने के मामले में ब्रिटेन दूसरे स्थान पर है। दोनों देशों की सैन्य सहयोग योजना, ऑपरेशन ऑर्बिटल, 2015 से प्रभावी है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने युद्ध के बीच में राजधानी कीव का दौरा कर यूक्रेन के प्रति समर्थन जताया था। ब्रिटेन ने कीव को कम से कम 75 सैक्सन बख्तरबंद वाहन और लैंड रोवर डिफेंडर बख्तरबंद टोही और संचार वाहन सौंपे हैं। इसके अलावा उसने यूक्रेन को चिकित्सा उपकरण, सामरिक गियर, नाइट विजन उपकरण और जीपीएस नेविगेटर प्रदान किए हैं। इनकी कीमत 4.5 मिलियन डॉलर से अधिक है। 2022 में, लंदन ने यूक्रेन को हल्की एंटी टैंक मिसाइलों की एक बड़ी खेप भी सौंपी थी।
लिथुआनिया- लिथुआनिया ऐसा पहला देश है, जिसने फरवरी 2014 में सत्ता बदलने के बाद सबसे पहले यूक्रेन को सैन्य सहायता दी थी। उसने उसे कई बार सोवियत काल के हथियार और गोला बारूद दिए हैं। उसने नाटो में शामिल होने के बाद इन हथियारों को सेवा से बाहर कर दिया था। 2016 में लिथुआनिया ने यूक्रेन को 150 टन की सैन्य आपूर्ति की थी। इनमें लाखों राउंड, मुख्य रूप से कलाश्निकोव असॉल्ट राइफल्स के लिए 5.45 मिमी के थे। 2017 और 2019 में भी लिथुआनिया ने यूक्रेन को गोला-बारूद की आपूर्ति की। 2022 में लिथुआनिया ने यूक्रेन को थर्मल इमेजिंग मॉनिटरिंग उपकरण के अलावा नॉर्वेजियन NASAMS मल्टीपल-लॉन्च रॉकेट सिस्टम सौंपा था। इन देशों से समर्थन मिलने के बाद यूक्रेन युद्ध में खड़ा है और रूस को एक बाद एक जवाब दे रहा है।
पुतिन और जेलेंस्की की जिद्द
रूस के राष्ट्रपति और यूक्रेन के राष्ट्रपति दोनों इस युद्ध में आमने-सामने हैं। पुतिन अपने जिद्द के आगे किसी को सुनने को तैयार नहीं है। हाल ही में पुतिन ने यूक्रेन के चार हिस्सों को अपने कब्जे में कर लिया है। अब इसके लिए यूक्रेन भले ही जोर लगा लें कि वो वापस लेकर रहेगा तो ये संभव नहीं है। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने खुद बयान जारी करते हुए बताया कि इस युद्ध में हमारी जीत तय है। उन्होंने बताया कि क्रीमिया पुल शुरुआत है. सब कुछ अवैध नष्ट होगा। हम अपनी सारी चींजे वापस लेंगे।