Heart Attack:कम उम्र के लोगों को क्यों हो रहा हार्ट अटैक , पेरिस के शोधकर्ताओं ने किया चौंकाने वाला खुलासा
Heart Attack: इन दिनों कम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक (हृदयाघात) के मामले तेजी से बढ़े हैं। सिर्फ हिंदुस्तान में ही नहीं, बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी हृदयाघात से होने वाली मौतों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। यह एक ऐसा आघात है, जो कई बार संभलने और बचने का मौका भी नहीं देता।
Highlights
- 40 से कम और उसके आसपास की उम्र वालों में हृदयाघात के मामले बढ़े
- पर्याप्त नींद नहीं लेना और खानपान में लापरवाही पड़ रही भारी
- देर रात तक मोबाइल या टीवी देखते रहना भी खतरनाक
Heart Attack: इन दिनों कम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक (हृदयाघात) के मामले तेजी से बढ़े हैं। सिर्फ हिंदुस्तान में ही नहीं, बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी हृदयाघात से होने वाली मौतों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। यह एक ऐसा आघात है, जो कई बार संभलने और बचने का मौका भी नहीं देता। कब, कहां, कैसे और किस मोड़ पर चलते-फिरते, उठते-बैठते और सोते-जागते व नाचते-गाते या कार्य करते किसको हार्ट अटैक आ जाए...कुछ कहा नहीं जा सकता।
युवाओं, कामकाजी और एक्सरसाइज करने वाले लोगों, खिलाड़ियों, हंसने-हंसाने वालों और गीत-संगीत से जुड़े लोगों को भी हो रहे हार्ट अटैक से लोगों के दिल में अजब सा डर बैठता जा रहा है। आमतौर पर माना जाता रहा है कि वर्कआउट करने वालों, नियमित एक्सरसाइज, व्यायाम, खेल-कूद, गीत-संगीत और हंसने-हंसाने वाले लोगों में हृदयाघात का खतरा अन्य लोगों के मुकाबले लगभग नगण्य होता है, लेकिन पिछले कुछ समय से इन्हीं क्षेत्रों से जुड़े कई युवा लोगों को हुए हृदयाघात के मामलों ने अब इस अवधारणा को भी झुठला दिया है।
गत एक वर्ष के दौरान इन युवा सेलिब्रिटीज को पड़ा हार्ट अटैक
- सिद्धार्थ शुक्ला- बालीवुड अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला की उम्र महज 40 वर्ष थी, लेकिन एक वर्ष पहले हृदयाघात से उनका निधन हो गया
- सिंगर केके- मशहूर गायक केके को कुछ माह पहले एक शो करने के दौरान ही हार्ट अटैक आ गया, जिससे उनका निधन हो गया।
- सौरव गांगुली-भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान सौरव गांगुली को अभी कुछ माह पहले ही हृदयाघात आया था। हालांकि उन्हें बचा लिया गया।
- राजू श्रीवास्तव- अभी एक माह पहले जाने-माने हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव को हार्ट अटैक हुआ। अभी भी वह आइसीयू में जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहे हैं।
- रोहित सरदाना-आजतक के फेमस न्यूज एंकर रहे रोहित सरदाना को बीते वर्ष कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हृदयाघात हो गया था, जिससे उनका निधन हो गया।
युवाओं के क्यों हो रहे हृदयाघात
उक्त पांचों सेलिब्रिटीज युवाओं की उम्र 40 वर्ष और उसके आसपास ही थी। बावजूद इन सभी को हार्ट अटैक आया। ये ऐसे सेलिब्रिटीज थे, जो व्यस्ततम समय में भी खुद की सेहत और एक्सरसाइज का पूरा ध्यान रखते थे। बावजूद हार्ट अटैक की चपेट में आने से खुद को बचा नहीं पाए। आखिर कुछ तो वजह है जो युवाओं में हार्ट अटैक का कारण बन रही है। इन्हीं कारणों पर शोध किया है फ्रांस के पेरिस स्थित फ्रेंच नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च ने। आइए आपको बताते हैं कि इस शोध के अनुसार युवाओं में हो रहे हृदयाघात के प्रमुख कारण क्या हैं....?
पर्याप्त नींद नहीं लेना मुख्य वजह
फ्रेंच नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च के प्रमुख डा. अबू बकर नांबिमा के अनुसार कम उम्र में हृदयाघात होना अब आम बात हो गई है। शोध में यह बात सामने आई है कि पर्याप्त नींद नहीं लेने वाले युवाओं में हृदयाघात का खतरा ज्यादा हो रहा है। शोध में नींद और हृदय रोग के बीच पारस्परिक संबंध है। अध्ययन के दौरान बेसलाइन स्लीप स्कोर और स्लीप स्कोर में समय के साथ होने वाले परिवर्तन और हृदय रोग के बीच संबंधों की जांच की गई तो यह तथ्य सामने आए।
खानपान में लापरवाही और दिनचर्या भी हार्ट अटैक की वजह
पर्याप्त नींद नहीं लेने के अलावा खानपान में लापरवाही बरतना और दिनचर्या का नियमित नहीं होना भी युवाओं में हृदयाघात की बड़ी वजह बन रहा है। सोते समय देर रात तक मोबाइल देखने से भी नींद समय पर नहीं आती। यह भी कम उम्र में हार्ट अटैक के प्रमुख वजहों का कारण है। क्योंकि इससे नींद के घंटे काफी हद तक कम हो जाते हैं।
पर्याप्त नींद लेने से 72 फीसद कम हो सकता है हार्ट अटैक
डा. अबू बकर के अनुसार यदि लोग पर्याप्त नींद लेने लगें तो हृदयाघात का खतरा 72 फीसद तक कम हो सकता है। पर्याप्त नींद के लिए छह से आठ घंटे तक की नींद जरूरी है। इससे हृदय को मजबूती मिलती है। साथ ही खानपान और दिनचर्या को दुरुस्त करके जीवनशैली में भी बदलाव लाना होगा।
7200 लोगों पर 10 वर्ष तक की गई गहन जांच
हृदयाघात के मुख्य वजहों की जानकारी के लिए टीम ने 7200 लोगों पर 10 वर्ष तक गहन शोध किया। इसमें शराब पीने वाले, धूम्रपान करने वाले, व्यवसायी और सामान्य लोगों को सम्मिलित किया गया था। इस दौरान कोरोनरी हृदय रोग और स्ट्रोक का बकायदे अध्ययन किया गया। जिन रोगियों में नींद के घंटे बढ़ाने जाने लगे, उनमें हृदय रोग का खतरा कम होने लगा और हार्ट की कार्यक्षमता भी बढ़ने लगी।