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Hindi News विदेश यूरोप वैश्विक महामारियों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय नियमों में संशोधन करेगा WHO, विकासशील देशों को होगी सहूलियत

वैश्विक महामारियों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय नियमों में संशोधन करेगा WHO, विकासशील देशों को होगी सहूलियत

डब्ल्यूएचओ के कानूनी अधिकारी स्टीवन सोलोमन ने कहा कि स्वास्थ्य नियमों को संशोधित करने का कदम तुरंत प्रभावी नहीं होगा, बल्कि यह टेड्रोस द्वारा निर्णय के बारे में देशों को औपचारिक रूप से सूचित करने के एक साल बाद लागू होगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन।- India TV Hindi Image Source : REUTERS विश्व स्वास्थ्य संगठन।

जिनेवाः विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सदस्य देशों ने कोविड-19 और एमपॉक्स जैसी वैश्विक महामारियों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर तैयारी में सुधार करने संबंधी नए कदमों को शनिवार को मंजूरी दी और वृहद संधि पर सहमत होने के लिए नयी समय सीमा तय की। डब्ल्यूएचओ ने यह जानकारी दी। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि देशों ने अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों (आईएचआर) में संशोधन करने पर सहमति जताई जैसे कि ‘‘वैश्विक महामारी आपातकाल’’ शब्द को परिभाषित करना और विकासशील देशों को वित्तपोषण एवं चिकित्सा उत्पादों तक बेहतर पहुंच प्राप्त करने में मदद करना। इन नियमों में इससे पहले 2005 में बदलाव किया गया था।

यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने वैश्विक महामारियों से निपटने संबंधी अधिक व्यापक ‘‘संधि’’ अपनाने की योजनाएं पर सहमति नहीं बन पाने पर इस साल अपनी छह दिवसीय ‘विश्व स्वास्थ्य सभा’ को समाप्त कर दिया था। प्रौद्योगिकी के बेहतर आदान-प्रदान और महामारी फैलाने वाले रोगाणुओं के बारे में असहमति के कारण योजनाओं पर सहमति नहीं बन पाई थी। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि देशों ने महामारी से निपटने संबंधी समझौते पर वार्ता को वर्ष के अंत तक पूरा करने पर सहमति व्यक्त की।

साझा उद्देश्य के लिए विश्व एक साथ

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनोम घेब्रेयेसस ने कहा, ‘‘आईएचआर संशोधनों की सफलता दर्शाती है कि हमारी विभाजित और विभाजनकारी दुनिया में देश अब भी साझा उद्देश्य और साझा आधार खोजने के लिए एक साथ आ सकते हैं।’’ डब्ल्यूएचओ ने कहा कि देशों ने वैश्विक महामारी आपात स्थिति को एक संक्रामक रोग के रूप में परिभाषित किया है, जो भौगोलिक आधार पर व्यापक रूप से फैल सकती है या जिसका जोखिम बहुत अधिक है। एजेंसी ने कहा कि इसे ऐसे प्रकोप के रूप में भी परिभाषित किया गया है जो ‘‘उल्लेखनीय’’ आर्थिक या सामाजिक व्यवधान पैदा कर सकता है तथा जिसके लिए त्वरित अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता है।  (एपी) 

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