A
Hindi News विदेश यूरोप कौन हैं जूलियन असांजे, जिन्हें अमेरिका भेजने पर आज आने वाला है बड़ा फैसला?

कौन हैं जूलियन असांजे, जिन्हें अमेरिका भेजने पर आज आने वाला है बड़ा फैसला?

जूलियन असांजे पर अमेरिका ने जासूसी का आरोप लगाया है। असांजे को अमेरिका भेजने के मामले में ब्रिटिश कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। अमेरिका ने ब्रिटिश कोर्ट को आश्वासन दिया है कि वे असांजे को मौत की सजा नहीं देंगे।

जूलियन असांजे- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO जूलियन असांजे

जेल में बंद विकिलीक्स के फाउंडर जूलियन असांजे को अमेरिका भेजने के मामले में ब्रिटिश कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। जूलियन असांजे पर अमेरिका की जासूसी के आरोप हैं। असांजे 13 सालों से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। उनके प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका की ओर से ब्रिटिश कोर्ट में अर्जी भी डाली गई थी। अमेरिका ने ब्रिटिश कोर्ट को यह आश्वासन दिया है कि वे 52 साल के जूलियन असांजे को मौत की सजा नहीं देंगे। इसके अलावा अगर जासूसी के आरोपों में असांजे के खिलाफ मुकदमा चला, तो उन्हें 'US फर्स्ट अमेंडमेंट राइट' के तहत फ्री स्पीच का अधिकार दिया जाएगा।

साल 2010-11 की बात है, जब विकिलीक्स के खुलासे के बाद अमेरिका ने आरोप लगाया था कि जूलियन असांजे ने उनके देश की जासूसी की है। उसने सीक्रेट फाइल को पब्लिश कर दिया, जिससे कई लोगों का जीवन खतरे में आ गया था, लेकिन असांजे ने हमेशा ही जासूसी के आरोपों से इनकार किया है। जूलियन असांजे को 2010 में स्वीडन की अपील पर लंदन में गिरफ्तार किया गया था। उन पर स्वीडन की दो महिलाओं ने रेप का आरोप लगाया था। 

इक्वाडोर के दूतावास में ली शरण

स्वीडन भेजे जाने से बचने के लिए असांजे ने 2012 में लंदन में इक्वाडोर के दूतावास में शरण ली थी, जिससे वो गिरफ्तारी से बच गए। वे यहां 2012 से 2019 के बीच इक्वाडोर में ही रहे। 11 अप्रैल 2019 को वे कोर्ट में पेश नहीं हो पाए, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में इक्वाडोर की सरकार ने उन्हें शरण देने से इनकार कर दिया। इसकी वजह अंतरराष्ट्रीय समझौतों के लगातार उल्लंघन करना बताया गया था। 2019 में इक्वाडोर की दूतावास से बाहर आने पर ब्रिटेन की पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।

इसके बाद से वह लंदन की बेल्मार्श जेल में बंद हैं। हालांकि, स्वीडन ने नवंबर 2019 में असांजे पर से रेप के आरोप वापस ले लिए थे, लेकिन इसके बावजूद वह जेल में ही रहे। अप्रैल 2019 में अमेरिका ने उन पर हैकिंग की साजिश रचने का आरोप लगाया था। 23 मई 2019 को अमेरिका की ग्रैंड ज्यूरी ने असांजे के खिलाफ जासूसी के 17 केस दर्ज किए। 

2006 में विकीलीक्स की स्थापना 

जूलियन असांजे विकीलीक्स की स्थापना से पहले कंप्यूटर प्रोग्रामर और हैकर थे। विकिलीक्स एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन है, जिसे उन्होंने 2006 में शुरू किया था। इसे एक ऐसे ऑर्गेनाइजेशन के रूप में जाना जाता है, जो खुफिया जानकारी, न्यूज लीक और अज्ञात सूत्रों से मिली गोपनीय जानकारी पब्लिश करता है। 2006 में इस वेबसाइट के लॉन्च होने के महज साल भर के भीतर ही 12 लाख से अधिक दस्तावेजों का डेटाबेस तैयार हो गया था। विकीलीक्स ने ऐसे दस्तावेज जारी किए थे जिनसे पूरी दुनिया में खलबली मच गई थी। चाहें वह अफगानिस्तान और इराक युद्ध की गोपनीय जानकारी हो या 2016 राष्ट्रपति चुनाव के दौरान हिलेरी क्लिंटन के गोपनीय ईमेल लीक होने का मामला हो।

जूलियन असांजे के काम की वजह से 2008 में उन्हें इकोनॉमिस्ट फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन और 2010 में सैम एडम्स अवॉर्ड दिया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर असांजे पर लगे सभी आरोपों में उन्हें दोषी पाया जाता है, तो 175 साल तक की सजा हो सकती है। इसी के चलते असांजे अमेरिका प्रत्यर्पण के लिए राजी नहीं हुए हैं।

ये भी पढ़ें-

Latest World News