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Hindi News विदेश यूरोप साल 2023 में रिकॉर्ड संख्या में सहायता कर्मी मारे गए, इस वर्ष के आंकड़े भी अधिक: United Nations

साल 2023 में रिकॉर्ड संख्या में सहायता कर्मी मारे गए, इस वर्ष के आंकड़े भी अधिक: United Nations

संयुक्त राष्ट्र के सहायता कर्मियों को कई बार प्रतिकूल माहौल में काम करना पड़ता है और इसमें उनकी जान भी जाती है। संयुक्त राष्ट्र ने इसी को लेकर एक आंकड़ा जारी किया है जो बेहद चौंकाने वाला है।

United Nations - India TV Hindi Image Source : FILE AP United Nations

बर्लिन: संयुक्त राष्ट्र ने सोमवार को कहा कि पिछले साल दुनिया भर में संघर्षों में रिकॉर्ड संख्या में सहायता कर्मी मारे गए हैं। वर्तमान साल और भी घातक हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामले समन्वय कार्यालय (ओसीएचए) ने कहा कि 2023 में 33 देशों में 280 सहायता कर्मी मारे गए, जो पिछले वर्ष के 118 के आंकड़े से दोगुने से भी अधिक हैं। इसने कहा कि पिछले साल सहायता कर्मियों की आधी से अधिक मौतें अक्टूबर में शुरू हुए इज़राइल-गाजा युद्ध के पहले तीन महीनों में दर्ज की गईं, जिनमें ज्यादातर लोग हवाई हमलों में मारे गए। 

अब तक  172 सहायता कर्मियों की हो चुकी है मौत

कार्यालय ने कहा कि यह वर्ष ‘‘और भी घातक परिणाम की राह पर हो सकता है’’ क्योंकि 7 अगस्त तक 172 सहायता कर्मियों की मौत हो चुकी है। ओसीएचए के अनुसार, गाजा में अब तक 280 से अधिक लोग मारे गए हैं जिनमें से अधिकतर फलस्तीनी शरणार्थियों से संबंधित संयुक्त राष्ट्र एजेंसी से जुड़े थे। इसने कहा कि ‘‘सूडान और दक्षिण सूडान में भीषण हिंसा’’ भी इस वर्ष और पिछले वर्ष मौतों का कारण रही है। संयुक्त राष्ट्र के कार्यवाहक आपातकालीन राहत समन्वयक जॉयस मसूया ने एक बयान में कहा, ‘‘सहायता कर्मियों के खिलाफ हिंसा का सामान्यीकरण और जवाबदेही की कमी हर जगह सहायता कार्यों के लिए अस्वीकार्य एवं अत्यधिक हानिकारक है।’’ 

कई तरह के खतरों का करना पड़ता है सामना

बता दें कि, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) सहायता कर्मी विश्वभर में मानवीय सहायता, विकास, शांति स्थापना और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लिए काम करते हैं। उनका मुख्य उद्देश्य युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं, और अन्य संकटों से प्रभावित लोगों की मदद करना है। यह कर्मी विभिन्न संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, जैसे कि यूएनडीपी, यूनीसेफ, डब्ल्यूएफपी, और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ कार्य करते हैं। युद्धग्रस्त और संकटग्रस्त क्षेत्रों में काम करते समय सहायता कर्मियों को गंभीर सुरक्षा खतरों का सामना करना पड़ता है। कई बार उन्हें बंधक बनाए जाने, हमलों और अन्य हिंसक घटनाओं का भी सामना करना पड़ता है। (एपी)

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