यूक्रेन के चिकित्सा विश्वविद्यालयों ने अपने विदेशी छात्रों को उनके अपने ही देशों के अस्पतालों और क्लीनिकों में व्यावहारिक प्रशिक्षण लेने की अनुमति दी है। इस फैसले से भारत के हजारों छात्रों को राहत मिली है जो युद्धग्रस्त देश से वापस आ गए हैं। विश्वविद्यालयों ने विभिन्न देशों की सरकारों से अपने छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण के अवसर देने का भी आग्रह किया है ताकि वे अपेक्षित कौशल हासिल कर सकें।
रूस के भीषण हमले के कारण यूक्रेन में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के कारण विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया गया था लेकिन पूर्वी यूरोपीय देश के विश्वविद्यालयों ने पिछले महीने से ऑनलाइन कक्षाएं शुरू कर दी हैं। लेकिन विदेशी छात्रों के लिए चिंता का प्रमुख कारण प्रायोगिक कक्षाओं के अभाव में क्लीनिकल अनुभव हासिल करना है।
ऐसे छात्रों को राहत देते हुए, यहां के कई अस्पतालों और निजी क्लीनिकों ने व्यावहारिक कक्षाएं और इंटर्नशिप की पेशकश की है। यूक्रेन के डीनिप्रो शहर के सरकारी मेडिकल विश्वविद्यालय (डीएमएसयू) ने एक नोटिस में कहा कि यूक्रेन में वर्तमान स्थिति में, छात्रों को प्रौद्योगिकी की मदद से पढ़ाया जाता है। लेकिन छात्रों के पास विश्वविद्यालय के क्लीनिक और डीनिप्रो शहर के अस्पतालों में सीधे व्यावहारिक कौशल सीखने का अवसर नहीं है।
वी.एन.करज़िन खार्किव नेशनल यूनिवर्सिटी ने भी एक पत्र जारी कर विभिन्न देशों की सरकारों से अनुरोध किया है कि वे उसके छात्रों को निजी और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त करने की अनुमति दें। छात्रों ने कहा कि ऐसे आदेशों के जारी होने के बाद पिछले कुछ दिनों में कई स्थानीय अस्पतालों ने व्यावहारिक प्रशिक्षण देने के लिए उनसे संपर्क किया है।
डीएसएमयू के एक छात्र आदित्य ने कहा, 'कुछ अस्पताल पैसे ले रहे हैं और कुछ इसे इंटर्नशिप के रूप में मुफ्त मुहैया करा रहे हैं। मैंने अभी तक फैसला नहीं किया है।' ऐसे इंटर्नशिप प्रदान करने वाले अस्पतालों में नोएडा स्थित निक्स मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल भी शामिल है।
अस्पताल ने कहा, 'हमने अपने अस्पताल में छात्रों के लिए छह महीने का इंटर्नशिप कार्यक्रम शुरू किया है। हम छात्रों को प्रमाण पत्र जारी करेंगे ताकि वे उन्हें विश्वविद्यालयों को दिखा सकें। कई छात्रों ने संपर्क किया है और इसमें रुचि दिखायी है।'
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