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Hindi News विदेश यूरोप दो महीने में हजारों यूक्रेनी सैनिक कर चुके आत्मसमर्पण, जानिए क्यों कर रहे सरेंडर, क्या है इसका कोड वर्ड?

दो महीने में हजारों यूक्रेनी सैनिक कर चुके आत्मसमर्पण, जानिए क्यों कर रहे सरेंडर, क्या है इसका कोड वर्ड?

रूस और यूक्रेन की जंग में यूक्रेन जहां पलटवार कर रहा है, वहीं सैनिकों की कमी की वजह से वह युवाओं को सेना में भर्ती कर रहा है। इन युवाओं को जंग लड़ने का अनुभव नहीं है। ऐसे में एक कोडवर्ड के माध्यम से ये युवा सैनिक सरेंडर कर रहे हैं। जानिए पूरा मामला।

यूक्रेनी सैनिक - India TV Hindi Image Source : FILE यूक्रेनी सैनिक

Russia Ukraine War News: रूस और यूक्रेन की जंग को डेढ़ साल से ज्यादा समय हो चुका है, लेकिन जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। अब तो यूक्रेन भी पलटवार करने लगा है। नाटो देशों के संगठन के सहयोग से वह अब क्रेमलिन तक जाकर ड्रोन अटैक कर रहा है। हालांकि जंग की शुरुआत से ही रूस अपने आक्रामक तेवर बरकरार रखे हुए है। यूक्रेन की सेना इसी कारण रूसी आर्मी के सामने हथियार डाल रही है। पिछले दो से ढाई महीने में देखा जाए तो यूक्रेनी सैनिकों के सरेंडर करने की संख्या 10 हजार को पार कर चुकी है। रूसी सेना के ​अधिकारियों के अनुसार यूक्रेनी सेना से एकसाथ बड़ी संख्या में सैनिक आत्मसमर्पण कर रहे हैं। 

क्या है सरेंडर करने का कोडवर्ड?

सरेंडर हो रहे कुछ मामलों में तो पूरी की पूरी कंपनी अपने हथियार और गोले-बारूद के साथ रूसी सेना के सामने आत्मसमर्पण कर रही है। इस बात ​की पुष्टि जपोरिजिया के गवर्नर येवगेनी बालियात्स्कीने भी की है।
यूक्रेन की सेना से हो रहे सरेंडर में एक स्पेशल रेडियो फ्रीक्वेंसी का जमकर इस्तेमाल हो रहा है। रूसी सेना के इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर विशेषज्ञों ने रेडियो फ्रीक्वेंसी 149.200 बनाया है। इस पर किसी भी वॉकी-टॉकी से संपर्क किया जा सकता है। रूसी सेना के सामने जिस भी यूक्रेनी सैनिकों को सरेंडर करना होता है वो अपने वॉकी-टॉकी से इस रेडियो फ्रीक्वेंसी पर कोडवर्ड 'वोल्गा' के साथ संपर्क करते हैं। उन सैनिकों को सेफ रूट दिया जाता है और उन्हें सुरक्षित हथियार डालने का मौका मिलता है।

क्यों आत्मसमर्पण कर रहे हैं यूक्रेनी सैनिक?

यूक्रेनी सैनिकों के बड़े पैमाने पर हो रहे आत्मसमर्पण की कई वजहें हैं। पिछले दिनों यूक्रेन में बड़े पैमाने पर उन लोगों को जबरन सेना में भर्ती किया गया। ये वे लोग हैं, जिन्हें जंग लड़ने का कोई अनुभव नहीं है। अपनी जान बचाने के लिए फ्रंटलाइन पर पहुंचकर ये लोग रूसी सेना के सामने सरेंडर के लिए संपर्क कर रहे है। इसके अलावा एक बड़ी तादाद उन लोगों की भी है जो रूसी समर्थक हैं और अब तक अंडर ग्राउंड थे। ऐसे मामलों में पूरी की पूरी यूनिट सरेंडर कर रही है। इनमें से बहुत से लोग ऐसे भी है जो अब रूसी सेना के साथ मिलकर लड़ाई में भाग ले रहे हैं। वहीं हारने के और मौत के डर से भी ये सैनिक सरेंडर कर रहे हैं।

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