कभी कभी किसी देश में ऐसे उर्वरक या खनिज पदार्थ होते हैं, जिनका पता चलते ही उसकी किस्मत बदल जाती है। यूरोप के ऐसे ही एक देश के हाथ बड़ा खजाना लगा है। इस खजाने से न सिर्फ यूरोप की किस्मत बदल जाएगी। बल्कि आने वाले 100 साल तक दुनिया को फायदा होगा। यूरोपीय देश नॉर्वे में हाई ग्रेड फॉस्फेट का बड़ाभंडार मिला है। संसाधनों का दोहन करने वाली एक कंपनी का दावा है कि इतने फॉस्फेट से दुनिया की अगली 100 साल की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। फॉस्फेट का उपयोग सौर पैनलों और इलेक्ट्रिक कार की बैटरी में किया जाता है।
ऐसे समय में जबकि पूरी दुनिया इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल्स की ओर जा रही है। इलेक्ट्रिक कार की बिक्री धड़ल्ले से यूरोपीय देशों और यहां तक कि विकासशील देशों में भी हो रही है। ऐसे में हाईग्रेड फास्फेट का मिलना काफी फायदेमंद है। नॉर्वे में मिला यह खजाना दुनिया की मांग को पूरा करने के लिए काफी बड़ा है। फॉस्फेट, फर्टिलाइजर इंडस्ट्री के लिए फॉस्फोरस के उत्पादन में उपयोग किया जाने वाला एक आवश्यक एलिमेंट है। इसे काफी जरूरी रॉ मटेरियल एक्ट के लिए यूरोपियन कमीशन के मार्च प्रस्ताव में शामिल किया गया था।
70 अरब टन फॉस्फेट का भंडार मिलने का अनुमान
नॉर्वे को जो भंडार मिला है। यह भंडार 70 बिलियन टन के करीब होने का अनुमान लगाया गया है। साल 2021 में यूएस जियोलॉजिक सर्वे की तरफ से एक अनुमान लगाया गया था, जिसमें 71 अरब टन का भंडार होने की बात कही गई थी। दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा फॉस्फेट रॉक भंडार यानी 50 बिलियन टन मोरक्को के पश्चिमी सहारा क्षेत्र में स्थित है।
पूरी होंगी सभी जरूरतें
नॉर्ज माइनिंग कंपनी द्वारा इस फॉस्फेट की खोज की गई है। कंपनी के मालिक का कहना है कि ‘अब जब आपको यूरोप में इतनी बड़ी चीज मिलती है जो हमारे सभी ज्ञात स्रोतों से बड़ी है, तो यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।‘ वहीं दूसरी ओर, यूरोपीयन यूनियन का कहना है कि यह तलाश निश्चित तौर पर ईयू के भविष्य के लिए काफी अच्छी है।
फर्टिलाइजर में 90 फीसदी उपयोग
विश्व में जितने भी फॉस्फेट का खनन किया जाता है उसका करीब 90 फीसदी कृषि में उर्वरक उद्योग के लिए प्रयोग होता है। इसके अलावा फॉस्फोरस को इलेक्ट्रिक कारों के लिए सोलर पैनल्स और लिथियम.आयरन.फॉस्फेट बैटरी ‘एलएफपी‘ के साथ साथ सेमीकंडक्टर्स और कंप्यूटर चिप्स के उत्पादन में भी किया जाता है। लेकिन इसकी मात्रा कम होती है।
इस बारे में साइंस मैगजीन ‘नेचर‘ में एक लेख प्रकाशित हुआ था पिछले साल, जिसमें यह लिखा गया था कि बैटरी के उत्पादन के लिए उपयोग में आने वाले फॉस्फोरस की मात्रा अभी काफी कम है। लेख में बताया गया था कि आगामी 20250 तक दुनिया की कुल मांग का सिर्फ 5 फीसदी हिस्सा ही पूरा किया जा सकता है। ऐसे में नॉर्वे में इस फॉस्फेट का मिलना न सिर्फ यूरोपीय देशों, बल्कि दुनिया के लिए भी बेहद फायदेमंद है।
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