Kim Jong Un North Korea dictator: अमेरिका भले ही खुद को कितना बड़ा ताकतवर राष्ट्र होने का दावा करता हो, मगर उत्तर कोरिया के तानाशाह कहे जाने वाले नेता किम जोंग-उन पर अमेरिकी चेतावनियों और धमकियों का कभी कोई असर नहीं होता। पूरी दुनिया पर परमाणु हथियार को लेकर प्रतिबंध लगाने वाला अमेरिका अब उत्तर कोरिया के आगे बेबस हो गया है। किम जोंग-उन ने परमाणु हथियार नहीं छोड़ने का संकल्प लेकर अमेरिका की टेंशन बढ़ा दी है।
किम जोंग ने अमेरिका पर लगाया बड़ा आरोप
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन ने सार्वजनिक रूप से देश के परमाणु हथियारों को नहीं छोड़ने का दृढ़ संकल्प लिया है। उन्होंने अमेरिका पर देश की सरकार को गिराने की कोशिश का आरोप लगाया। इस बात की जानकारी वहां के मीडिया ने शुक्रवार को दी। प्योंगयांग की कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (केसीएनए) के अनुसार, उन्होंने स्पष्ट किया कि, प्योंगयांग का परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए बातचीत फिर से शुरू करने का कोई इरादा नहीं है। उत्तर कोरिया की संसद ने इस सप्ताह के शुरू में एक महत्वपूर्ण सत्र के दौरान एक नई परमाणु नीति को मंजूरी दी थी।
कोरिया ने कहा-अपने परमाणु युद्ध क्षमता को करेंगे मजबूत
किम ने कहा है कि, "अमेरिका का उद्देश्य न केवल हमारे परमाणु हथियारों को खत्म करना है, बल्कि उत्तर कोरिया को आत्मरक्षा करने की शक्ति को छोड़ने या कमजोर करने के लिए मजबूर कर हमारे शासन को गिराना है। योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, किम ने कहा कि, उत्तर कोरिया को अपने सामरिक परमाणु अभियान के दायरे का लगातार विस्तार करना चाहिए ताकि अपने परमाणु युद्ध की क्षमता को मजबूत किया जा सके। उनका कड़ा संदेश तब आया जब एसपीए ने एक नया कानून अपनाया जो शासन पर हमला होने पर परमाणु हमला शुरू करने की अनुमति देता है।
अमेरिका से अक्सर उलझता रहा है उत्तर कोरिया
केसीएनए ने कहा कि एसपीए के नये कानून के तहत, एक उकसावे को नष्ट करने के लिए परमाणु हमला स्वचालित रूप से और तुरंत किया जा सकता है। अगर परमाणु बलों की कमान और नियंत्रण प्रणाली शत्रुतापूर्ण ताकतों के हमले से खतरे में है। तो उनपर हमला करने में संकोच नहीं होना चाहिए। देश की नींव की 74वीं वर्षगांठ मनाने के लिए उत्तर कोरिया ने गुरुवार को प्योंगयांग में एक बड़े कार्यक्रम का भी आयोजन किया। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और किम के बीच हनोई शिखर सम्मेलन 2019 में बिना किसी समझौते के समाप्त हो गया था। इसके बाद से अंतर-कोरियाई सुलह में थोड़ी प्रगति के बीच अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच परमाणु वार्ता रुकी हुई है। ऐसा पहली बार नहीं है जब उत्तर कोरिया अमेरिका से उलझ रहा हो। वह पहले भी कई मामलों में अमेरिका से उलझता रहा है और उसकी धमकियों-चेतावनियों को नजरंदाज करता रहा है। इससे अमेरिका की टेंशन भी बढ़ती रही है।
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