Russia US War: अमेरिका और रूस के बीच बढ़ा तनाव, जंग हुई तो संतुलन बनाएगा भारत या साबित होगा बड़ा खिलाड़ी?
US Russia India: भारत यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए लगातार कूटनीति का रास्ता अपनाने की सलाह दे रहा है। भारत का कहना है कि संघर्ष का अंत बातचीत से ही संभव है।
Highlights
- भारत कर रहा शांति की अपील
- रूस अमेरिका के बीच बढ़ा तनाव
- दुनिया को भारत की अधिक जरूरत
US Russia India: इस साल फरवरी महीने में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, तभी से दुनिया की निगाहें भारत पर हैं। भारत एक ऐसा खिलाड़ी साबित हो रहा है, जिसका हर कदम दुनिया को हैरान कर रहा है। भारत शुरुआत से ही युद्ध को खत्म करने के लिए बातचीत किए जाने की वकालत कर रहा है। युद्ध को 7 महीने का वक्त पूरा हो गया है, इसकी वजह से दुनिया में न केवल खाद्य संकट उत्पन्न हुआ बल्कि ऊर्जा संकट भी पैद हुआ, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था काफी प्रभावित हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से इतना तक कह दिया था कि यह यूक्रेन में युद्ध का समय नहीं है।
पीएम मोदी ने क्या कुछ किया?
पीएम नरेंद्र मोदी ने फोन पर यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की से बात की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि किसी भी संघर्ष का सैन्य समाधान नहीं है। जब पीएम मोदी जेलेंस्की से बात कर रहे थे, तब उनकी सेना उत्तरपूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन के हिस्सों में बढ़त हासिल कर रही थी। जब तमाम देश भारत के रुख को लेकर असमंजस में पड़े तो भारत ने साफ कहा कि भारत अपने हित के लिए हर जरूरी फैसला लेगा। ये वो पोजीशन है, जिसपर सभी सहमति जताते हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है, एक बार फिर मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि यूक्रेन में इस संघर्ष को समाप्त करना और वार्ता की मेज पर वापस आना समय की मांग है। यह परिषद कूटनीति का सबसे शक्तिशाली समकालीन प्रतीक है। इसे अपने उद्देश्य पर खरा उतरना ही चाहिए। हम सभी जिस वैश्विक व्यवस्था का पालन करते हैं, वह अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सभी राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता व संप्रभुता के सम्मान पर आधारित है। इन सिद्धांतों को भी बिना किसी अपवाद के बरकरार रखा जाना चाहिए। हमें ऐसे उपाय शुरू नहीं करने चाहिए जो संघर्षरत वैश्विक अर्थव्यवस्था को और जटिल बना दें और इसीलिए भारत सभी प्रकार की शत्रुता को तत्काल समाप्त करने और बातचीत तथा कूटनीति पर वापसी की आवश्यकता को दृढ़ता से दोहराता है।
स्पष्ट रूप से, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर देकर कहा है, यह युग युद्ध का नहीं हो सकता। हम अपनी ओर से यूक्रेन को मानवीय सहायता और आर्थिक संकट से जूझ रहे अपने कुछ पड़ोसियों को आर्थिक सहायता भी प्रदान कर रहे हैं।
रूस और भारत का क्या होगा?
विदेश नीति के जानकारों की मानें तो संभावना बढ़ रही है कि यूक्रेन पर अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए नई दिल्ली ने जो कुछ धारणाएं बनाई हैं, वे अब समय बीतने के साथ कमजोर नजर आ रही हैं। 2022 के अंत तक रूस भारत को ज्यादा आकर्षित नहीं कर पाएगा। कीव, खार्किव और अब खेरसॉन में रूसी हथियार बड़े पैमाने पर विफल हो रहे हैं। भारत को अब हाइड्रोकार्बन के लिए रूस पर चीन की तरह निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। जबकि रूस अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अस्थिरता का पर्याय बन गया है, भारत वह देश है जो स्थिरता प्रदान करने में सक्षम है।
अमेरिका के व्यवहार को समझ रहा भारत
भारत अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बदलते व्यवहार को समझ रहा है। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक फैसले को पलट दिया और पाकिस्तान को 45 करोड़ डॉलर की सैन्य सहायता देने की घोषणा की। अब पाकिस्तान अपने एफ-16 बेड़े को अपग्रेड करेगा। इसके अलावा पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा भी पिछले हफ्ते अमेरिका में थे। जहां उनका खूब आदर सतकार किया गया है।
यहां उन्हें न केवल 21 तोपों की सलामी दी गई बल्कि पेंटागन की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर से भी नवाजा गया। वहीं पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत ने कश्मीर मुद्दे पर भारत के दुश्मन का साथ दिया। अमेरिकी राजदूत डोनाल्ड ब्लूम ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी पीओके का दौरा किया और इसे आजाद कश्मीर कहा। इस घटना को सही ठहराने के लिए अमेरिका के पास कई कारण हैं। भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर है और यह स्पष्ट है कि भारत से ज्यादा पश्चिम को भारत की जरूरत है।