रूस से युद्ध लड़ते-लड़ते यूक्रेन का हथियारों का भंडार खाली हो चुका है। साथ ही सैनिकों की भी भारी कमी हो गई है। लिहाजा अब रूसी सैनिक फिर से यूक्रेन के राज्यों पर बढ़त बनाने लगे हैं। वहीं दूसरी तरफ अब यूक्रेन को यूरोप समेत सभी नाटों देशों से मदद मिलना 90 फीसदी तक कम हो गई है। आखिरी वक्त में अमेरिका ने भी मदद के नाम पर यूक्रेन को ठेंगा दिखा दिया। इससे यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमिर जेलेंस्की को हार का खतरा सताने लगा है।
युद्ध में अब रूस से पिछड़ रहे यूक्रेन को यूरोपीय संघ में 50 अरब यूरो (54 अरब अमेरिकी डॉलर) की अर्थिक सहायता मिलनी थी। मगर बृहस्पतिवार को इस संबंध में कोई सहमति नहीं बन सकी। इस सहायता के संबंध में हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बान ने वीटो किया। यह कदम यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि इससे पहले अमेरिकी कांग्रेस में यूक्रेन को आर्थिक सहायता देने के संबंध में कोई नतीजा नहीं निकला।
अमेरिका से जेलेंस्की ने मांगी थी इतनी बड़ी मदद
जेलेंस्की ने अमेरिकी सांसदों से यूक्रेन को अतिरिक्त 61अरब डॉलर की आर्थिक सहायता देने का अनुरोध किया था। इस धन का इस्तेमाल मुख्यरूप से अमेरिका से हथियार खरीदने में किया जाना है, लेकिन सांसदों के बीच इस बारे में कोई एक राय नहीं कायम हो सकी। यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने कहा,‘‘ मैं आपको बता सकता हूं कि 26 नेता (बजट वार्ता) पर सहमत हुए। स्वीडन को अपनी संसद में इस संबंध में विचार विमर्श करना है, और एक नेता इस पर सहमत नहीं हुए।’’ यूरोपीय संघ में कोई भी फैसला सर्वसम्मति से लिए जाने का नियम है।
यूरोपीय यूनियन का सदस्य भी नहीं बन सकेगा यूक्रेन
सिर्फ आर्थिक मदद के नाम पर ही नहीं, बल्कि जेलेंस्की की जिस मंशा को लेकर यह जंग शुरू हुई, वह सपना भी यूक्रेन का पूरा नहीं हो सकेगा। यूरोपीय संघ ने फिलहाल यूक्रेन को ईयू में शामिल करने से मना कर दिया है। ब्रसेल्स सम्मेलन की अध्यक्षता करने वाले मिशेल ने कहा कि ईयू में शामिल करने संबंधी वार्ता का शुरू होना,‘‘ उनके लोगों के लिए उम्मीद और हमारी प्रतिबद्धता का स्पष्ट संकेत देती है।’’ हालांकि बातचीत शुरू होने और यूक्रेन के ईयू का सदस्य बनने में कई वर्ष लग सकते हैं लेकिन जेलेंस्की ने इसे ‘‘यूक्रेन के लिए और पूरे यूरोप के लिए जीत करार’’ दिया। जेलेंस्की ने कहा, ‘‘इतिहास वो लोग रचते हैं, जो स्वतंत्रता के लिए अथक लड़ाई लड़ते हैं।’’ आर्थिक पैकेज पर कोई सहमति इसलिए नहीं बन सकी क्योंकि ओर्बान ने अतिरिक्त धन और यूरोपीय संघ के बजट की समीक्षा दोनों पर वीटो किया। (एपी)
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