Russia Ukraine War Day 75: रूस-यूक्रेन में जंग, 75 दिनों में क्या-क्या हुआ खास?
रूस और यूक्रेन के बीच जंग लंबी छिड़ गई है। इसके अंत का अभी पता नहीं, लेकिन 24 फरवरी से शुरू हुए इस युद्ध को 75 दिन आज सोमवार को पूरे हो गए।
Russia Ukraine War Day 75: रूस और यूक्रेन के बीच जंग लंबी छिड़ गई है। इसके अंत का अभी पता नहीं, लेकिन 24 फरवरी से शुरू हुए इस युद्ध को 75 दिन आज सोमवार को पूरे हो गए। रूस ने इस जंग की शुरुआत यूक्रेन के सैन्य ठिकानों पर हमला कर की, लेकिन अब रिहायशी इमारतों पर भी बमबारी की जा रही है। जंग की शुरुआत में यह माना जा रहा था और शायद रूस का खुद यह कहना था कि वह एक हफ्ते के भीतर ही यूक्रेन को मजा चखा देगा और कब्जा कर लेगा, लेकिन ऐसा न हो सका। पहले दबे स्वर में यूरोपीयन यूनियन और अमेरिका ने रूस के हमले का विरोध किया। बाद में यह स्वर मुखर हो गया। अमेरिका ने सीधे युद्ध में शामिल न होने की बात कही, लेकिन जंग आगे बढ़ती देख यूक्रेन को आर्थिक और सैन्य सामग्री की मदद शुरू कर दी। जानिए जंग के 75 दिनों की दास्तान।
24 फरवरी को किया था रूस ने यूक्रेन पर हमला24 फरवरी को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेश पर रूस ने दक्षिण के अपने पड़ोसी देश यूक्रेन पर बड़े स्तर पर सैन्य हमला शुरू कर दिया। रूस ने अपने हमले में यूक्रेन के समूचे सैन्य बुनियादी ढांचों को निशाना बनाया। साथ ही रूसी सेना सभी संभव दिशाओं से यूक्रेन में घुसी। तड़के टीवी पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन का एक बयान प्रसारित हुआ था, जिसमें उन्होंने यूक्रेन के पूर्वी डोनबास इलाके में 'सैन्य कार्रवाई' की घोषणा की। यहां रूसी भाषा बोलने वाले कई यूक्रेनी रहते हैं। इस इलाके के कुछ हिस्सों पर 2014 से ही रूसी समर्थित विद्रोहियों का कब्जा है।
पहले रूस ने यूक्रेन के पूर्वी हिस्से पर कब्जा किया। लेकिन बाद में उसने बेलारूस के इलाके से भी अपने टैंक और सैनिक प्रवेश करा दिए। रूस के मारियुपोल शहर पर कब्जा किया। इसके बाद राजधानी कीव की ओर रूस की सेना बढ़ी। राजधानी को चारों ओर से घेर लिया गया। लेकिन कई दिनों तक कोशिशों के बाद भी कीव के आसपास ही सेना और टैंक पहुंच पाए। यूक्रेन ने पूरी ताकत दिखाते हुए तुर्की के आधुनिक ड्रोन की सहायता से रशियन टैंकों को निशाना बनाया। बीच बीच में रूसी हेलिकॉप्टर्स को भी यूक्रेन की सेना ने निशाना बनाया और नष्ट किया।
जैसे जैसे जंग बढ़ी, पुतिन की हताशा बढ़ने लगी
दुनियाभर के देशों को यूक्रेन यह कहता रहा कि पुतिन को युद्धविराम के लिए रोका जाए। लेकिन पुतिन की सेना यूक्रेन पर लगातार हमला करती रही। वैश्विक कूटनीति के मोर्चे पर भी पुतिन को मुंह की खानी पड़ी। यूरोपियन यूनियन के सभी देश, नाटो कंट्री, अमेरिका के साथ ही आस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों ने भी रूस का जमकर विरोध किया और उस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए।
रूस यूक्रेन के बीच चलता रहा शह और मात का खेल
ये सच है कि जंग में रूस कहीं अधिक भारी पड़ा है। उसने यूक्रेन के कइ शहरों को तबाह दिया। लेकिन मौका पाते ही कई शहरों पर यूक्रेन ने वापस कब्जा जमा लिया। एक समय तो ऐसा आया, जब यूक्रेन की आम जनता ने भी हथियार उठा लिए थे।
अमेरिका सहयोग के भरोसे से आत्मविश्वासी होते गए जेलेंस्की
अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों ने रूसी सरकार के नजदीकी धन कुबेरों पर प्रतिबंध लगाकर उनकी करीब 30 अरब डालर (करीब 2.25 लाख करोड़ रुपये) की संपत्ति जब्त की है। साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन को हथियार और अन्य मदद के लिए 33 अरब डॉलर के बड़े पैकेज का प्रस्ताव अमेरिकी कांग्रेस को दिया है। वहीं उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस के हमले से निपटने के लिए यूक्रेन को गोले और राडार सिस्टम के लिए 15 करोड़ डॉलर की अतिरिक्त सैन्य मदद भेजने की मंजूरी दी। अमेरिका के इस भरोसे से शुरू में जंग से हताश दिखने वाले यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की आत्मविश्वासी होते गए।
यूएन सेक्रेटरी के दौरे पर भी रूस ने नहीं रोका हमला
अप्रैल माह के अंत में जब संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरस रूस और यूक्रेन के दौरे पर पहुंचे, तब दौरे के बीच भी रूस ने गुरुवार को कीव समेत यूक्रेन के एक बड़े हिस्से पर बमबारी की। इससे यह संदेश देने की कोशिश की कि वह जंग टालेन के मूड में नहीं है।
मारियुपोल के इस्पात संयंत्र पर बमबारी
मारियुपोल में रूसी सैनिकों की बमबारी के बीच यूक्रेनी लड़ाकों ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस शहर पर रूस के पूर्ण कब्जे से पहले वहां एक इस्पात संयंत्र में फंसे नागरिकों को निकाला। इस शहर पर कब्जे से मॉस्को को क्रीमियाई प्रायद्वीप तक एक जमीनी संपर्क मिल जाएगा। विजय दिवस के मद्देनजर वह इस पर लगातार कब्जे के प्रयास में जुटा है।