Russia-Ukraine War Day 75: अर्थव्यवस्था से लेकर वैश्विक साख तक, युद्ध में रूस चुका रहा कितनी भारी कीमत?
जब रूस यूक्रेन की सीमा में घुसा तो हर किसी की यही लगा कि रूस का ये विशेष सैन्य अभियान महज कुछ घंटों का ही है और शायद ही यूक्रेन की फौज अतिशक्तिशाली और तजुर्बेदार रूसी सेना का सामने टिक सके।
Highlights
- रूस यूक्रेन युद्ध के पूरे हुए 75 दिन
- वॉर में रूस को भारी सैन्य नुकसान
- कई अहम मोर्चों पर पुतिन को झटके
Russia-Ukraine War day 75: रूस ने यूक्रेन के खिलाफ 24 फरवरी को "विशेष सैन्य कार्रवाई" शुरू की थी। रूस ने सैन्य अभ्यास के नाम पर पहले बेलारूस के क्षेत्र में अपने सैनिकों की तैनाती की और 24 फरवरी को शुरू सैन्य कार्रवाई के तहत उन्हें यूक्रेन में भेजा। जब रूस यूक्रेन की सीमा में घुसा तो हर किसी की यही लगा कि रूस का ये विशेष सैन्य अभियान महज कुछ घंटों का ही है और शायद ही यूक्रेन की फौज अतिशक्तिशाली और तजुर्बेदार रूसी सेना का सामने टिक सके। लेकिन दिन बीते, हफ्ते बीते और बीत गए महीने, हुआ वही जो किसी ने सोचा भी ना था। युक्रेन ने दावा किया है कि जंग शुरू होने के बाद से अब तक रूस के करीब 25 हजार सैनिक अपनी जान गंवा चुके हैं। यूक्रेन से युद्ध में रूस झटके पर झटके खाए जा रहा है।
रूस चुका रहा भारी कीमत-
यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने जो दावा किया है उसके मुताबिक अब तक 25 हजार से ज्यादा रूसी सैनिक मारे जा चुके हैं। वही 1100 टैंक, करीब 200 एयरक्राफ्ट का भी रूस को नुकसान उठाना पड़ा है। यूक्रेन के मुताबिक रूसी सेना ने अपने 155 हेलीकॉप्टर, 2686 बख्तरबंद वाहन, 502 आर्टिलरी सिस्टम, 90 क्रूज मिसाइल, 83 एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम, 11 समुद्री नाव भी खो दिया है। इसके साथ ही यूक्रेन के मंत्रालय ने दावा किया कि रूसी सेना ने एक सैन्य अभियान में अपने 1900 से अधिक वाहन और ईंधन टैंकों को खो दिया है।
रूस की वैश्विक साख में लगा बट्टा-
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन पर कब्जा करने के अपने उद्देश्य में अब लगभग नाकामयाब दिख रहे हैं। इस बात से दुनिया ही नहीं खुद पुतिन भी हैरान होंगें कि वह उस देश में नाकाम हो रहे हैं, जिसे उन्होंने 96 घंटों में जीतने की धमकी दी थी। पुतिन उस देश में हार रहे हैं, जिसे वो एक वॉकओवर मानकर चल रहे थे। यूक्रेन में सामरिक गलतियों के कारण रूस की सेना को ही विनाशकारी नुकसान हुआ है और ब्रिटेन और यूक्रेन का दावा है, कि पिछले दो महीने में रूस के 25 हजार सैनिक मारे जा चुके हैं। जबकि, दुनिया की नजर में रूस की सेना काफी ज्यादा आधुनिक और अच्छी तरह से सुसज्जित सेना थी, जिसने चौंकाने वाला बुरा प्रदर्शन किया है।
यूक्रेन को कम करके आंका-
रूस ने अपने से बहुत छोटे विरोधी को काफी कम करके आंका और यही कारण रहा कि युद्ध के दौरान यूक्रेनी सैनिकों ने बेहद आसानी से रूसी सैनिकों के सप्लाई लाइन को ध्वस्त किया। रूस ने इसका भी गलत आकलन किया कि चूंकि उसने परमाणु हमले की धमकी दी है, पश्चिम देश मजबूर हो जाएंगे। इसके उलट एकीकृत पश्चिम ने यूक्रेन को अरबों डॉलर की सैन्य सहायता दी और करोड़ों के हथियारों की आपूर्ति भी कर रहा है। भारी संख्या में रूसी सैनिकों की मौजूदगी के बाद भी यूक्रेनी सेना ने अपनी राजधानी पर रूस को कब्जा करने से रोका और यूक्रेनी सैनिकों ने ही रूसी सैनिकों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। यही वजह रही कि रूस को अपनी रणनीति बदलनी पड़ी और यूक्रेन की राजधानी कीव से पीछे हटना शुरू किया और फिर से उसे पूर्वी यूक्रेन में लड़ाई शुरू कर दी।
रूसी युद्धपोत का डूबना-
रूस की अत्याधुनिक मिसाइलों से लैस युद्धपोत मोस्कवा का डूबना यूक्रेन पर हमले के बाद रूस को बड़ा झटका देने वाली प्रमुख घटनाओं में से एक है। हाल ही में रूस का महाशक्तिशाली युद्धपोत मोस्कवा क्षतिग्रस्त होने के बाद काला सागर में समा गया था। रूसी नौसेना का गाइडेड मिसाइल क्रूजर मोस्कवा (Moskva Ship) काला सागर बेड़े का सबसे शक्तिशाली युद्धपोत था। मोस्कवा युद्धपोत के डूबने के बाद खबर है कि यूक्रेन ने एक और रूसी युद्धपोत को निशाना बनाया है। यूक्रेनी सांसद ने दावा किया है कि रात के अंधेरे में यूक्रेन ने एक रूसी युद्धपोत पर हमला किया। उन्होंने कहा कि काला सागर में पुतिन का एक अत्याधुनिक युद्धपोत (फ्रिगेट) 'मुश्किल में' है। 500 मिलियन डॉलर (38 अरब रुपए) का यह फ्रिगेट सिर्फ पांच साल पहले ही रूसी नौसेना के बेड़े में शामिल हुआ है।
रूस पर लगी पाबिंदयों की झड़ी-
इस युद्ध में रूस की अर्थव्यवस्था को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। यूक्रेन पर विशेष सैन्य अभियान शुरू करने के बाद यूरोपियन यूनियन रूस पर सख्त से सख्त पाबंदियां लगा रहा है। यूरोपियन यूनियन और कई बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों द्वारा लगाई गईं पाबंदियों से रूस की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है। यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से रूस के 48 लाख करोड़ रुपए के विदेशी मुद्रा भंडार का आधा हिस्सा निष्क्रिय हो गया है। इससे डॉलर में बांडों का भुगतान करने की क्षमता पर असर पड़ेगा। अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि रूस पर 5.72 लाख करोड़ रुपए का विदेशी कर्ज है। पेट्रोल, गैस से उसकी सालाना आय 15.26 लाख करोड़ रुपए है। पिछले सप्ताह मूडी ने आगाह किया है कि अगर रूस 4 मई को 30 दिन की ग्रेस अवधि खत्म होने पर डॉलर में भुगतान नहीं करता है तो 4 अप्रैल को उसके द्वारा रूबल में किए गए लगभग पांच हजार करोड़ रुपए के भुगतान को डिफाल्ट माना जा सकता है।