यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका लगातार रूस पर प्रतिबंध लगा रहा है। यूक्रेन पर रूस की कार्रवाई को रोकने के लिए अमेरिका कई बड़े कदम उठा चुका है। बुधवार को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस मुद्दे पर संबोधित किया। बाइडन ने अपने पहले ‘स्टेट ऑफ द यूनियन’ संबोधन में रूस की आक्रामकता का सामना करने और अमेरिकी मुद्रास्फीति को काबू करने का संकल्प किया। रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने के बीच बाइडन के इस भाषण के मायने और बढ़ गए हैं।
अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यूक्रेन और रूस के युद्ध के लिए अमेरिका जिम्मेदार है? यूक्रेन को अमेरिका लगातार समर्थन कर रहा था। एक्सपर्ट्स की मानें तो पुतिन को 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद से रूस की शक्ति और प्रभाव के नुकसान से गहरी शिकायत है। यूक्रेन पहले सोवियत संघ का हिस्सा था, लेकिन 1991 में उसने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की।
रूस की सीमा से लगे एक समृद्ध, आधुनिक, स्वतंत्र और लोकतांत्रिक यूरोपीय देश के अस्तित्व को रूस के निरंकुश शासन के लिए खतरा माना जाता रहा है। यदि यूक्रेन के नेता अन्य पश्चिमी लोकतंत्रों की तर्ज पर अपने देश को पूरी तरह से सुधारने में सफल रहे तो यह पूर्व सोवियत देशों के लिए एक बुरी मिसाल कायम करेगा और रूसियों के लिए एक उदाहरण के रूप में काम करेगा जो एक अधिक लोकतांत्रिक देश चाहते हैं। पुतिन यह भी मानते हैं कि पश्चिमी लोकतंत्र कमजोर स्थिति में हैं। रूस को लगा कि यह एक प्रमुख सैन्य अभियान शुरू करने का उपयुक्त समय है।
ट्विटर पर ट्रेंड हो रहे हैं पुतिन-
इस बीच ट्विटर पर भी #IStandWithPutin और #istandwithrussia ट्रेंड कर रहा है। इसमें लोग अपनी अलग-अलग प्रतिक्रिया दे रहे हैं। ट्विटर यूजर्स का कहना है कि रूस भारत का बहुत पुराना साथी है इसलिए भारत हर मुश्किल समय में उसके साथ खड़ा हुआ है क्योंकि रूस भी पहले भारत के साथ खड़ा रहा है। एक यूजर का तो कहना है कि पुतिन से लड़ने का प्रयास मत करिये।
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