18 महीने से भी अधिक समय से जारी रूस-यूक्रेन की लड़ाई ने अब धीरे-धीरे पश्चिमी देशों का हौसला भी तोड़ दिया है। यूक्रेन को मदद करते-करते पश्चिमी और यूरोपियन देशों का भंडार खाली होने लगा है। साथ ही उनकी दिलचस्पी भी अब इसे लेकर कम होने लगी है। पश्चिमी देशों को भी यह बात समझ आ गई है कि रूस से मिलकर भी पार पाना आसान नहीं है। आखिर अब वह यूक्रेन की मदद कब तक करते रहेंगे?...इधर यूक्रेन में फिर से हथियारों और गोला-बारूद की कमी होने लगी है। अमेरिका सिर्फ इकलौता देश है जो अब तक आधा दर्ज से अधिक बार यूक्रेन को रक्षा पैकेज दे चुका है। मगर सिर्फ इससे काम नहीं चलने वाला। इसलिए रूस के खिलाफ जंग को मजबूती देने के लिए राष्ट्रपति जेलेंस्की फिर से पश्चिमी देशों का समर्थन जुटा रहे हैं।
जेलेंस्की ने रूस के हमले के खिलाफ पश्चिमी देशों का और समर्थन जुटाने के अपने अभियान के तहत शुक्रवार को कनाडा की संसद को संबोधित किया। इससे पहले वह वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और सांसदों के साथ बैठक की। फिर वहां से जेलेंस्की ने बृहस्पतिवार देर रात कनाडा की राजधानी के लिए उड़ान भरी। कनाडा के लिए उड़ान भरने से पहले उन्होंने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र की वार्षिक बैठक को भी संबोधित किया था। वहां भी जेलेंस्की ने पश्चिमी और यूरोपी देशों से अनवरत समर्थन मांगा था।
ट्रुडो ने किया जेलेंस्की का स्वागात
ओटावा पहुंचने पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ओटावा हवाई अड्डे पर जेलेंस्की का गर्मजोशी से स्वागत किया। जेलेंस्की ने संसद में अपने संबोधन के दौरान कहा, ‘‘मास्को हारेगा। उसकी हार निश्चित है।’’ यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा कि कनाडा हमेशा ‘‘इतिहास के उज्ज्वल पक्ष’’ में रहा है। जेलेंस्की ने कहा कि कनाडा ने सहायता के साथ इस युद्ध में हजारों लोगों की जान बचाने में मदद की है। उन्होंने वित्तीय सहायता के लिए और यूक्रेन के लोगों को कनाडा में आश्रय देने के लिए कनाडा के लोगों को धन्यवाद कहा। (एपी)
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