Russia Demographic Crisis: जन्म दर में गिरावट की वजह से रूस इन दिनों जनसांख्यिकीय संकट का सामना कर रहा है। इसकी वजह से देश की आबादी तेजी से घट रही है। क्षेत्रफल के हिसाब से रूस दुनिया का सबसे बड़ा देश है, लेकिन यहां की आबादी महज 1.441 करोड़ है। इसी वजह से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर सोवियत काल के मदर हीरोइन अवॉर्ड को दिए जाने का ऐलान किया है। पुतिन ने मामले में इसी हफ्ते एक सरकारी आदेश पर हस्ताक्षर भी किए हैं। जिसमें कहा गया है कि 10 या इससे अधिक बच्चे पैदा करने और उनकी परवरिश करने वाली महिलाओं को सम्मान के रूप में रूस की 'मदर हीरोइन' की उपाधि दी जाएगी।
स्थानीय रिपोर्ट्स का कहना है कि जैसे ही किसी महिला का 10वां बच्चा एक साल का हो जाएगा, तो उसे 1 मिलियन रूबल यानी 13 लाख रुपये दिए जाएंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला तब भी पुरस्कार की हकदार होगी, जब उसके पहले के 9 बच्चों में से किसी की आतंकी हमले या फिर इमरजेंसी में मौत हो जाए। पुतिन का ऐसा मानना है कि इस पुरस्कार से रूस में जनसंख्या को बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी। बच्चे के अभिभावकों को उन्हें पालने के लिए सरकार से सहायता भी मिलेगी।
जोसेफ स्टालिन ने शुरू किया था पुरस्कार
मदर हीरोइन पुरस्कार की शुरुआत पहली बार 1944 में सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन ने की थी। उस समय दूसरे विश्व युद्ध की वजह से सोवियत संघ की आबादी तेजी से घट रही थी। इस तरह की स्थिति को देखते हुए सरकार ने जनसंख्या बढ़ाने के लिए पुरस्कार की शुरुआत की थी। हालांकि 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस की सरकार ने ये पुरस्कार देना बंद कर दिया था। इसके पीछे का कारण बताया गया कि देश की आबादी पार्याप्त है और विघटन की वजह से आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है। ऐसी स्थिति में लोगों को इनाम के तौर पर नकद पैदा नहीं दिया जा सकता था।
तेजी से घट रही है रूस की आबादी
रूस की आबादी कई दशकों से लगातार कम हो रही है। 2022 की शुरुआत में आबादी करीब 4 लाख तक कम हुई है। रूस की आबादी में गिरावट 1990 के दशक में होना शुरू हुई थी। यानी सोवियत संघ के विघटन के बाद। पुतिन के साल 2000 में राष्ट्रपति बनने के बावजूद इसमें गिरावट होना जारी रही। पहले कहा गया कि दो दशक के बाद आबादी में सुधार होना शुरू हो गया है लेकिन जमीनी स्तर पर इसका प्रभाव दिखाई नहीं दिया। स्थिति में सुधार करने के लिए पिछले प्रयास असफल रहे। अब अर्थव्यवस्था पर कम आबादी के कारण पड़ने वाले प्रभाव के चलते अर्थशास्त्री चिंतित हैं।
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