Rishi Sunak: ब्रिटेन का नया प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में सबसे आगे ऋषि, लेकिन '10 डाउनिंग स्ट्रीट' तक पहुंचने का रास्ता अब भी कठिन, क्या है ये?
ब्रिटेन के सबसे अच्छे स्कूलों में से एक विनचेस्टर कॉलेज से ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय तक उनकी स्व-निर्मित साख विद्वानों को देश के सर्वोच्च राजनीतिक पद के लिए उनके नाम को सही मानने की वजह देती है।
Highlights
- ऋषि अंतिम दौर के मतदान में 137 मतों से जीते
- 10 डाउनिंग स्ट्रीट तक जाने वाली राह कठिन
- बहुत कठिन मतदान का करना पड़ेगा सामना
Rishi Sunak 10 Downing Street: ऋषि सुनक ने बुधवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद की दौड़ के अंतिम चरण में जगह बना ली है। सुनक ने टोरी सांसदों के पांचवें और अंतिम दौर के मतदान में 137 मतों से जीत हासिल की लेकिन इससे आगे अब उनके लिए 10 डाउनिंग स्ट्रीट तक जाने वाली राह कठिन है। 10 डाउनिंग स्ट्रीट ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास और कार्यालय है। यहां वह दुनियाभर के नेताओं के साथ मुलाकात भी करते हैं। 42 साल के पूर्व वित्त मंत्री सुनक के लिए रास्ता इसलिए आसान दिखाई नहीं देता क्योंकि उन्हें अब टोरी सदस्यों के बीच बहुत कठिन मतदान का सामना करना पड़ेगा और इस दौर के मतदान में हाल के सर्वेक्षणों में आंकड़े उनकी प्रतिद्वंद्वी लिज ट्रस के पक्ष में होने की बात कही गई है।
अब सुनक और ट्रस दो ही दावेदार प्रधानमंत्री पद की दौड़ में बचे हैं जिनके बीच सोमवार को बीबीसी पर लाइव डिबेट होगा। सुनक ने इस महीने की शुरुआत में नेतृत्व के लिए अपनी दावेदारी पेश किए जाने के बाद से बहस और साक्षात्कार की एक श्रृंखला में कहा, 'यह नेतृत्व प्रतियोगिता सिर्फ हमारी पार्टी के नेता होने से ज्यादा है, यह हमारे ब्रिटेन के संरक्षक बनने के बारे में है।' उन्होंने 1960 के दशक में पूर्वी अफ्रीका से आए अपने भारतीय परिवार की कहानी के साथ अपना प्रयास शुरू करने से लेकर व्यक्तिगत और पेशेवर के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है।
अपने माता-पिता की कहानी बताई
सुनक ने कहा, ‘मेरी मां ने फार्मासिस्ट बनने के वास्ते योग्यता प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत की। वह मेरे पिता, एक एनएचएस (राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा) जीपी से मिलीं, और वे साउथेम्प्टन में बस गए। उनकी कहानी यहीं खत्म नहीं हुई, लेकिन यहीं से मेरी कहानी शुरू हुई।’ उन्होंने अपने चिकित्सक पिता यशवीर और मां उषा के संदर्भ में यह बात कही। यह व्यक्तिगत कहानी हाल ही में उनके सास-ससुर - इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति तक भी विस्तारित हुई, जब सुनक ने अपनी पत्नी अक्षता की पारिवारिक संपत्ति पर हमलों को लेकर पलटवार किया।
उन्होंने कहा था, 'मेरे ससुर के पास कुछ भी नहीं था, बस एक सपना था और कुछ सौ पाउंड थे जो मेरी सास की बचत ने उन्हें प्रदान किए। इसके साथ ही उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी, सबसे प्रतिष्ठित और सबसे सफल कंपनियों में से एक का निर्माण किया, जो यहां ब्रिटेन में हजारों लोगों को रोजगार देती है। यह वास्तव में एक ऐसी कहानी है जिस पर मुझे गर्व है और प्रधानमंत्री के रूप में, मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि हम यहां उनकी तरह और भी कहानियां बना सकें।' धर्मनिष्ठ हिंदू के रूप में, सुनक नियमित रूप से मंदिर में जाते हैं। उनका जन्म साउथेम्प्टन में हुआ था और नवंबर 2020 में 11 डाउनिंग स्ट्रीट के अपने कार्यालय-निवास के बाहर दीपावली के दीये जलाने वाले पहले वित्त मंत्री बने।
भारतीय संस्कृति से जुड़ी हैं बेटियां
उनकी बेटियां, अनुष्का और कृष्णा भी भारतीय संस्कृति से जुड़ी हैं। उन्होंने हाल ही में बताया था कि कैसे अनुष्का ने पिछले महीने वेस्टमिंस्टर एब्बे में महारानी के प्लेटिनम जयंती समारोह के लिए अपने सहपाठियों के साथ कुचिपुड़ी का प्रदर्शन किया। लेकिन व्यक्तिगत जीवन से परे, उन्हें पेशेवर मोर्चे पर वित्त मंत्री के रूप में अपने विरोधियों के हमलों का सामना करना पड़ा। वह परंपरागत रूप से कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्यों को लुभाने के लिए कर कटौती के किसी वादे के बजाय मुद्रास्फीति पर अपना ध्यान केंद्रित करने पर दृढ़ रहे हैं। उन्होंने घोषणा की, 'मैं इस संसद में कर कम कर दूंगा, लेकिन मैं इसे जिम्मेदारी से करने जा रहा हूं। मैं चुनाव जीतने के लिए कर कटौती की बात नहीं कहूंगा, मैं कर कम करने के लिए चुनाव जीतना चाहता हूं।'
ब्रिटेन के सबसे अच्छे स्कूलों में से एक विनचेस्टर कॉलेज से ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय तक उनकी स्व-निर्मित साख विद्वानों को देश के सर्वोच्च राजनीतिक पद के लिए उनके नाम को सही मानने की वजह देती है। उनका राजनीतिक करियर 2015 में यॉर्कशायर में रिचमंड की एक सुरक्षित टोरी सीट जीतने के साथ शुरू हुआ था और कनिष्ठ भूमिकाओं से वह अचानक तब चांसलर ऑफ एक्सचेकर के पद पर पहुंच गए जब उनके पूर्व बॉस साजिद जाविद ने फरवरी 2020 में इस्तीफा दे दिया। पूर्व वित्त मंत्री के लिए अब राह बहुत कठिन है। प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने के लिए अब उन्हें अनुमानित तौर पर कंजर्वेटिव पार्टी के 1,60,000 मतदाताओं को अपने पक्ष में डाक मतपत्र डालने के लिए तैयार करना पड़ेगा। इस चरण में मिलने वाली सफलता उन्हें ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बना देगी।