लंदन: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक द्वारा चार जुलाई को देश में आम चुनाव कराए जाने की अचानक घोषणा किए जाने के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) टलने की आशंका है। ब्रिटेन में आम चुनाव से ठीक एक महीने पहले चार जून को भारत में लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होंगे। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों और रणनीतिक विशेषज्ञों ने भरोसा जताया है कि परिणाम भले ही कुछ भी हो, द्विपक्षीय संबंधों में खास बदलाव नहीं होगा। लेकिन, जो एफटीए समझौता सुनक के नेतृत्व वाली ‘कंजर्वेटिव पार्टी’ की सरकार में होने की उम्मीद थी, उसके अब आम चुनाव की घोषणा के कारण टलने की आशंका है।
जनवरी 2022 में शुरू हुई थी बातचीत
भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए को लेकर बातचीत जनवरी 2022 में शुरू हुई थी और इसका उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाना है। वर्तमान में दोनों देशों के बीच एक साल में करीब 38.1 अरब पाउंड का व्यापार होता है। चुनाव पूर्व के अधिकतर सर्वेक्षणों में विपक्षी दल ‘लेबर पार्टी’ आगे दिख रही है। हालांकि ‘लेबर पार्टी’ ने भी इस समझौते को अंतिम रूप देने की प्रतिबद्धता जताई है लेकिन इसकी समय सीमा को लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता।
'भारत के साथ संबंधों में निरंतरता होनी चाहिए'
लंदन के थिंक टैंक ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज’ (आईआईएसएस) में दक्षिण और मध्य एशियाई रक्षा, रणनीति और कूटनीति संबंधी मामलों के वरिष्ठ ‘फेलो’ राहुल रॉय चौधरी ने कहा, ‘‘ऋषि सुनक ने चार जुलाई को चुनाव कराने की घोषणा करके सभी को हैरान कर दिया। इसके कारण कंजर्वेटिव सरकार द्वारा भारत के साथ बहुप्रतीक्षित एफटीए को अंतिम रूप दिए जाने की संभावना खत्म हो गई है।’’ ब्रिटेन के थिंक टैंक ‘चैथम हाउस’ में दक्षिण एशिया, एशिया-प्रशांत कार्यक्रम के वरिष्ठ शोध ‘फेलो’ डॉ सी बाजपेयी ने कहा, ‘‘ब्रिटेन में चुनाव के नतीजे कुछ भी हों, उसके भारत के साथ संबंधों में निरंतरता होनी चाहिए।’’ (भाषा)
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