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स्वीडन में कुरान की बेअदबी को लेकर यूएन में पाकिस्तान के प्रस्ताव का भारत ने किया समर्थन

भारत ने यूएन में कुरान जलाने की घटनाओं को लेकर लाए गए पाकिस्तान और फिलीस्तीन के एक प्रस्ताव का समर्थन किया है।

Sweden Quran burning, India Quran burning, Quran burning United nations- India TV Hindi Image Source : AP FILE स्वीडन में कुरान जलाए जाने की घटना के विरोध में मुंबई में नारेबाजी करते भारतीय मुसलमान।

संयुक्त राष्ट्र/जिनेवा: संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पाकिस्तान और फिलीस्तीन द्वारा लाए गए एक प्रस्ताव का समर्थन किया है। यूएन की शीर्ष मानवाधिकार संस्था ने यूरोप में कुरान जलाने की घटनाओं के मद्देनजर धार्मिक घृणा को रोकने के लिए देशों से और अधिक प्रयास करने का आह्वान करने वाले एक प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी। पश्चिमी देश इस पर आपत्ति जता रहे थे और उन्हें आशंका थी कि सरकारों के कड़े कदम अभिव्यक्ति की आजादी में बाधा बन सकते हैं।

पाकिस्तान और फिलीस्तीन ने लाया था प्रस्ताव
जिनेवा में 47 सदस्यी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHCR) ने पाकिस्तान और फिलीस्तीन द्वारा लाए गए एक प्रस्ताव को बुधवार को 12 के मुकाबले 28 वोट से मंजूर कर लिया। 7 सदस्य मतदान में अनुपस्थित रहे। भारत ने उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया जो ‘पवित्र कुरान के अपमान के हालिया सार्वजनिक और पूर्व-निर्धारित कृत्यों की निंदा करता है और दृढ़ता से खारिज करता है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून से उत्पन्न देशों के दायित्वों के अनुरूप धार्मिक घृणा के इन कृत्यों के अपराधियों को जिम्मेदार ठहराने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।’

प्रस्ताव के पारित होते ही बजने लगीं तालियां
कुरान की बेअदबी के खिलाफ लाए गए इस प्रस्ताव पारित होते ही मानवाधिकार परिषद के सदन में तालियां बजने लगीं। अफ्रीका के कई विकासशील देशों के साथ-साथ चीन तथा पश्चिम एशियाई देशों ने भी प्रस्ताव का समर्थन किया है। इनमें बांग्लादेश, क्यूबा, मलेशिया, मालदीव, कतर, यूक्रेन और संयुक्त अरब अमीरात हैं। प्रस्ताव के विरोध में मतदान करने वाले देशों में बेल्जियम, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और अमेरिका हैं। यूरोप के कुछ हिस्सों में कुरान जलाये जाने की हालिया घटनाओं के बाद इस प्रस्ताव को लाया गया था।

प्रस्ताव पारित होने के बाद पाकिस्तान ने क्या कहा?
पाकिस्तान और फिलीस्तीन द्वारा लाए गए इस प्रस्ताव में देशों से भेदभाव, शत्रुता या हिंसा को उकसाने वाले धार्मिक घृणा के कृत्यों और उसकी हिमायत को रोकने तथा अभियोजन के लिए कदम उठाने का आह्वान किया गया है। पाकिस्तान के राजदूत खलील हाशमी ने मतदान के बाद इस बात पर जोर दिया कि इस प्रस्ताव में बोलने की आजादी के अधिकार को अवरुद्ध करने की कोई बात नहीं है बल्कि यह अभिव्यक्ति की आजादी और विशेष जिम्मेदारियों के बीच विवेकपूर्ण संतुलन की कोशिश करता है। (भाषा)

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