बर्लिन: पश्चिमी जर्मनी में पुलिस ने स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और अन्य प्रदर्शनकारियों को मंगलवार को एक खुली कोयले की खान के पास से हिरासत में लिया। यहां ये लोग खदान के विस्तार के लिए रास्ता बनाने को लेकर एक गांव के विध्वंस के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। पश्चिमी जर्मन राज्य नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया में कई स्थानों पर खनन का विरोध कर रहे सैकड़ों लोगों में शामिल है, जो पिछले दो जलवायु कार्यकर्ताओं ने लुएत्ज़ेरथ गांव के निचले इलाके में एक सुरंग में छिपकर स्थान छोड़ दिया था। हालांकि, पुलिस का कहना है कि ग्रेटा थनबर्ग को थोड़ी देर हिरासत में रखने के बाद रिहा कर दिया गया।
गांव के विध्वंस को लेकर विरोध प्रदर्शन
पुलिस ने बताया कि एक कोयला खदान के विस्तार के लिए रास्ता बनाना है। इसके लिए लुएत्जेरथ गांव को विध्वंस होना है। गांव उजाड़ने का विरोध करने को लेकर जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को अन्य कार्यकर्ताओं के साथ हिरासत में लिया गया था। पुलिस ने चेतावनी दी थी कि अगर कार्यकर्ता का ग्रुप खदान के किनारे से नहीं हटा तो उन्हें बलपूर्वक हटा दिया जाएगा। बता दें कि गांव की अधिकांश इमारतों को साफ कर दिया गया है और खुदाई करने वाली मशीनों से उन्हें हटा दिया गया है। गांव से लोगों के निष्कासन की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद गांव के चारों ओर 1.5 किलोमीटर की परिधि में बाड़ बनाने की योजना बनाई है, ताकी गांव की इमारतों, गलियों और सीवरों को ध्वस्त करने से पहले गांव को पूरी तरह सील कर दिया जाए।
अंडरग्राउंड सुरंगों और बिल्डिगों में छिपे थे प्रदर्शनकारी
विदेशी मीडिया की रिपोर्ट्स की मानें तो हजारों कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन करने के लिए साइट पर इकट्ठे हुए थे। पुलिस ने पिछले हफ्ते तक अंडरग्राउंड सुरंगों और इमारतों में छिपे प्रदर्शनकारियों को हटा दिया था, लेकिन थनबर्ग समेत के साथ कई प्रदर्शनकारी कल तक धरने पर अड़े रहे। लुएत्ज़ेरथ से लगभग 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस कोयले की खदान में विरोध के दौरान ग्रेटा थनबर्ग को हिरासत में लिया गया था।
खदान से निकलने वाला कोयला सबसे घातक
बता दें कि इस खदान से जो कोयला निकाला जाएगा वो उसे लिग्नाइट कहा जाता है। लिग्नाइट सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाला कोयला है, यह सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाला जीवाश्म ईंधन है। इस खदान के विस्तार के लिए पूरे गांव को खाली कराकर विध्वंस किया जा रहा है। इस अभियान में एक हजार से ज्यादा पुलिस अधिकारियों को लगाया गया है।
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