नई दिल्लीः रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन की सेना को चीन द्वारा हथियार भेजे जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। सबसे पहले अमेरिका ने इस बात का खुलासा किया था कि चीन रूस को चोरी छुपे हथियार भेज रहा है, जिसका इस्तेमाल वह यूक्रेन के खिलाफ कर रहा है। इसके लिए अमेरिका ने चीन को चेतावनी भी दी थी। अब जर्मनी ने पहली बार चीन को खुल्लम खुल्ला कहा है कि वह रूस को हथियार भेजने के बजाय यूक्रेन से रूसी सैनिकों की वापसी का दबाव बनाए। जर्मनी का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब चीन ने कुछ दिनों पहले स्वयं ये कहा था कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच शांति लाने के लिए मध्यस्थता करना चाहता है।
जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने चीन से रूस को हथियार भेजने से परहेज करने और इसके बजाय यूक्रेन से रूसी सैनिकों की वापसी के लिए मॉस्को पर दबाव बनाने के वास्ते अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने का बृहस्पतिवार को आह्वान किया। शोल्ज ने जर्मन संसद में दिए एक भाषण में कहाकि चीन के लिए मेरा संदेश स्पष्ट है कि वह रूस को हथियार भेजना बंद करे। इसके बजाय वह रूसी सैनिकों की वापसी के लिए दबाव बनाने के वास्ते मॉस्को में अपने प्रभाव का उपयोग करे। शोल्ज ने कहा कि चीन रूस को हथियारों की आपूर्ति न करे।
यूक्रेन को जर्मनी देता रहेगा सहायता
जर्मनी ने यह भी कहा कि वह यूक्रेन के साथ इस लड़ाई में आखिरी वक्त तक खड़ा रहेगा और उसे मानवीय व सैन्य सहायता देता रहेगा। जर्मन चांसलर ने यह भी प्रतिबद्धता जताई कि रूस के हमले के खिलाफ यूक्रेन की रक्षा करने में मदद करने के वास्ते जर्मनी मानवीयता को प्राथमिकता देता रहेगा और यूक्रेन की हरसंभव सहायता व समर्थन करना जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि शांति के संदेश का मतलब किसी बड़े पड़ोसी के सामने समर्पण करना नहीं है। अगर यूक्रेन ने अपना बचाव करना बंद कर दिया, तो इससे शांति का माहौल नहीं बनेगा, बल्कि यूक्रेन का अंत होगा। शोल्ज ने कहा कि जर्मनी नाटो के दो प्रतिशत रक्षा व्यय लक्ष्य को पूरा करने के लिए काम कर रहा है। मगर चीन को अब चाहिए कि वह रूस को सैनिकों की यूक्रेन से वापसी के लिए कहे।
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