नई दिल्ली। यूक्रेन पर लगातार हमला जारी रखने के चलते यूरोपीय देशों ने अब रूस पर नया प्रतिबंध लगा दिया है। इससे रूस के साथ ही साथ अन्य देशों की भी मुश्किलें बढ़नी तय हैं। यूरोपीय देशों ने रूस से डीजल एवं अन्य शोधित तेल उत्पादों पर रविवार को प्रतिबंध लगाने के साथ ही यूक्रेन पर हमला करने के लिए उसकी आर्थिक रूप से घेराबंदी तेज कर दी। रूसी डीजल पर यह पाबंदी पेट्रोलियम उत्पादों की अधिकतम सीमा के साथ लगाई गई है। इससे रूसी राष्ट्रपति पुतिन को नई आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इस नए प्रतिबंध के बाद रूस के लिए डीजल के ग्राहक तलाश पाना मुश्किल हो जाएगा।
डीजल की अधिकतम मूल्य सीमा पर सात मित्र देशों ने सहमति जताई थी। हालांकि यह मूल्य सीमा तात्कालिक तौर पर रूस के आर्थिक हितों को अधिक प्रभावित नहीं करेगी। इसकी वजह यह है कि रूस इस समय कमोबेश इसी स्तर पर डीजल की आपूर्ति कर रहा है, लेकिन यूरोपीय देशों की पाबंदी लगने के बाद उसके लिए डीजल के ग्राहकों की तलाश कर पाना खासा मुश्किल हो जाएगा। यूक्रेन पर पिछले साल फरवरी में हमला करने वाले रूस को आर्थिक रूप से अलग-थलग करने के लिए अमेरिका एवं यूरोपीय देश उस पर कई पाबंदियां लगा चुके हैं। डीजल पर यूरोपीय देशों की रोक इसी दिशा में उठाया गया अगला कदम है।
यूरोप को गैस की आपूर्ति और कम कर सकता है रूस
इस पाबंदी और मूल्य सीमा के पीछे मकसद यह है कि रूस को शोधित तेल उत्पादों की कीमतों में होने वाली किसी भी बढ़ोतरी का लाभ न मिले। यूरोपीय संघ के अधिकारियों ने कहा कि इस पाबंदी की घोषणा जून में ही कर दी गई थी लिहाजा रूस से तेल आयात करने वाले देशों के पास पर्याप्त समय था। पाबंदी के प्रभावी होने के पहले दिसंबर में रूस ने यूरोपीय देशों को डीजल आपूर्ति से दो अरब डॉलर कमाए। यूरोपीय देश पहले ही रूस से कोयला एवं अधिकांश कच्चे तेल पर रोक लगा चुका है। वहीं रूस ने जवाबी कदम के तौर पर यूरोप को प्राकृतिक गैस की आपूर्ति बहुत सीमित कर दी है।
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