पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गिरफ्तारी का ब्रिटेन में बेसब्री से इंतजार! जानिए क्या है ब्रिटिशर्स की राय?
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की गिरफ्तारी का ब्रिटेन में कुछ लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। ट्रंप के लिए ज़बरदस्त घृणा का भाव है। जिस रात ज्यूरी ने ट्रंप पर केस चलाने का फैसला दिया, उस वक़्त यहां मैंने कई लोगों को महंगी वाइन खोलकर जश्न मनाते हुए देखा।
Donald Trump News: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ मंगलवार को सुनवाई होगी। पिछले सप्ताह मैनहट्टन ग्रैंड ज्यूरी ने ट्रंप पर 2016 प्रचार अभियान के तहत एक पोर्न स्टार को चुपके से पैसे देने के आरोप तय किया है। ऐसे में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की गिरफ्तारी का ब्रिटेन में कुछ लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। ट्रंप के लिए ज़बरदस्त घृणा का भाव है। जिस रात ज्यूरी ने ट्रंप पर केस चलाने का फैसला दिया, उस वक़्त यहां मैंने कई लोगों को महंगी वाइन खोलकर जश्न मनाते हुए देखा। कुछ लोग तो अपने ड्राइंग रूम में नाच भी रहे थे। मफिन्स को केक समझकर काटा गया। वाइन और केक मुझे भी मिला।
पहली बार किसी राष्ट्रपति को हथकड़ी लगाने की नौबत आई!
पहली बार किसी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति को हथकड़ी लगने की नौबत आ गई है। ब्रितानियों के एक वर्ग को लगता है कि ये घटना पूरी दुनिया पर असर डालेगी। उन्हें ये भी लगता है कि डोनल्ड ट्रंप लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा बन गए हैं और उनके जेल जाने से लोकतंत्र बच जाएगा।
डीएनए टेस्ट भी देना होगा ट्रंप को
खुशी से चमक रही अपनी भूरी आंखों को नचाकर उन्होंने मुझे बताया कि अब ट्रम्प को एक कैदी की तरह रखा जाएगा। उसके फ़ोटो लिए जाएंगे। डीएनए टेस्ट होगा, ये डीएनए टेस्ट दूसरे केस में भी काम आएगा। उन्हीं से ये विस्तार भी मिला कि एक पुराने केस में ट्रंप डीएनए सैम्पल देने में आनाकानी कर रहे हैं इसलिए ये सैंपल अब वहां भी केस मजबूत करेगा और उसे और भी कड़ी सजा होगी।
कैपिटल हिल्स वाली घटना को याद करके जानिए क्या कहा?
मेरा ये काउंटर उन्हें रास नहीं आया कि अगर ट्रम्प को सजा हो भी जाती है तो उन्हें चुनाव लड़ने से कोई नहीं रोक सकता। अगर वो जीत गए तो फिर राष्ट्रपति बन जाएंगे। मेरे इस तर्क से एक पल के लिए झटका खाकर एक भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक ने जिन का ग्लास एक बार में ही गटक लिया। तभी उन्हें चेतना आई और मुझे याद दिलाया गया कि 6 जनवरी को केपिटल हिल वाली घटना में भी अभी ट्रंप को सज़ा होनी बाकी है। तभी तीसरी पीढ़ी की एक भारतीय मूल की ब्रिटिश महिला ने मुझसे पूछा कि आप लोग अपने टेलीविजन पर ट्रंप की खबर ठीक से कवर क्यों नहीं कर रहे हैं? मैंने जवाब दिया कि जितना फर्क भारतीयों को पड़ता है उतनी खबर हम दिखा रहे हैं।
मेरा यह वाक्य उनके लिए मानो किसी वज्रपात की तरह था। उन्हें लगता है कि जो कुछ अमेरिका में हो रहा है वही पूरी दुनिया में होगा, अगर नहीं भी होगा तो उसका असर जरूर पड़ेगा। उनका यह भी मानना है कि अगर किसी वजह से अमेरिका में लोकतंत्र खतरे में आया तो भारत का लोकतंत्र भी नहीं बचेगा। मेरे लिए ये बात पचाना थोड़ा सा मुश्किल हो रहा था। इसलिए मैंने बहुत ही विरक्त भाव से कह दिया कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला। मैंने तर्क करने की कोशिश करते हुए कहा कि भारत का लोकतंत्र बहुत मज़बूत है और उसका पूरा ढांचा ही अलग है। इसलिए उस पर इस घटना का कोई विशेष असर नहीं दिखता।
ब्रिटिशर्स मानते हैं कि अमेरिका दुनिया के इंजन का ड्राइवर
दरअसल, इस ड्रॉइंग रूम में बैठे अधिकांश लोगों को यही लगता है कि अमेरिका ही सब कुछ है। वही दुनिया के इंजन का ड्राइवर है। वही नीति निर्माता है। इनमें से कोई भी पिछले 4-5 सालों से भारत नहीं गया है। बॉलीवुड की मसालेदार खबरों के अलावा इन्हें भारत की बाकी खबरों में ज़्यादा दिलचस्पी नहीं है। इन्हें ये भी नहीं पता कि राहुल गांधी पिछले दिनों लंदन में घूम घूमकर क्या बवाल खड़ा कर गए हैं। इन्हें फर्क सिर्फ अमेरिका से पड़ता है।
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