Russia-Ukraine War: पिछले छह महीने से यूक्रेन से युद्ध लड़ते-लड़ते सिर्फ रूस का ही हाल बुरा नहीं हुआ है, बल्कि इससे पूरा यूरोप प्रभावित हुआ है। एक रिपोर्ट के दावे के अनुसार यूक्रेन को रूस से लड़ने के लिए गोला-बारूद और हथियार देने वाले नाटो देश यानि कि यूरोपी संघ अब कंगाल हो चुका है। हालत यह है कि अब उसके पास गोला-बारूद का भंडार खाली हो चुका है। ऐसे में अब यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को युद्ध सामग्री देने से हथियार डाल दिया है। इससे यूक्रेन भी सकते में आ गया है।
नाटो देशों की बदौलत ही अभी तक यूक्रेन बहादुरी से रूस जैसे महाशक्तिशाली देश से लड़ता आ रहा है, लेकिन अब यूरोपीय देशों में हथियार और गोला-बारूद की तंगी आ जाने से उसके सामने भीषण संकट खड़ा हो गया है। अभी तो जैसे-तैसे करके यूक्रेन को थोड़ी-बहुत मात्रा में युद्धक सामग्री मिल भी रही है, लेकिन यह युद्ध फिलहाल जल्द खत्म होता नहीं दिख रहा। ऐसे में अब यूरोपीय देश जल्द ही यूक्रेन को युद्धक सामग्री देने में पूरी तरह असमर्थ हो जाएंगे। तब यूक्रेन का रूस से लड़ाई लड़ पाना संभव नहीं होगा।
कब तक यूक्रेन को बचाएगा अमेरिका
युद्धक सामग्री से यूरोपीय देशों के कंगाल हो जाने के बाद अब यूक्रेन को आखिरी आस अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों से रहेगी, लेकिन यह देश भी कितनी हद तक उसकी मदद कर पाएंगे वक्त ही बताएगा। फिलहाल मौजूदा हालात को देखते हुए कहा जा सकता है कि युद्ध विराम नहीं हुआ या युद्ध का फैसला जल्द नहीं हुआ तो अब रूस के सामने यूक्रेन ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाएगा। अब वह वक्त जल्द ही आ सकता है जब गोला-बारूद और हथियार नहीं होने के चलते यूक्रेन को रूस के सामने हथियार डाल देना पड़े। अगर ऐसा हुआ तो जिस यूक्रेन का नाम अभी बहादुरी के लिए लिया जा रहा है, उसी यूक्रेन का नाम इतिहास में एक मूर्खतापूर्ण फैसले के लिए लिया जाएगा। यह कहा जाएगा कि यूक्रेन ने आखिरकार रूस के सामने हथियार डाल दिए, लेकिन तब जब सबकुछ उसका बर्बाद हो गया तब। मतलब साफ है अगर यूरोपीय देशों ने हाथ खड़े किए तो अमेरिका और ब्रिटेन भी ज्यादा वक्त तक यूक्रेन की मदद नहीं कर पाएंगे।
अन्य देशों से लड़ाई छिड़ी तो यूरोप का क्या होगा
यूरोपीय संघों के पास से गोला-बारूद और हथियार खतम होने से सिर्फ यूक्रेन को ही खतरा नहीं है, बल्कि सवाल यह है कि यदि अन्य देशों से किसी यूरोपीय देश से युद्ध छिड़ा तो ऐसी स्थिति में वह युद्ध का सामना कैसे करेंगे। कहा जा सकता है कि यूक्रेन की मदद करने वाले देशों के सामने अब संकटकाल में अपनी रक्षा कर पाने का भी संकट खड़ा हो गया है। यूरोपीय संघ के विदेश नीति के प्रमुख जोसेफ बोरेल ने कहा कि मैं यह तो नहीं कहूंगा के सभी यूरोपीय देशों के पास गोला-बारूद पूरी तरह से खत्म हो गए हैं, लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि इन देशों के युद्धक सामग्री के भंडार काफी कम हो गए हैं। इसलिए सभी को मिलकर इसे बढ़ाना होगा। जो किफायती भी हो।
यूरोपीय देशों के पास पहले से ही कम है युद्धक सामग्री
यूरोपीय देशों में वैसे भी बहुत अधिक युद्धक सामग्री नहीं है। ज्यादातर यूरोपीय देस अपनी सुरक्षा भर की युद्धक सामग्री ही रखते हैं। मगर अब यूक्रेन की मदद करते-करते उनके भंडारण में कमी आई है। इसकी वजह यह भी है कि ज्यादातर नाटो देश सुरक्षा के लिए अमेरिका पर ही निर्भर हैं। यूरोपीय देशों को अमेरिका ही युद्धक सामग्री उपलब्ध करवाता है। अमेरिका के लिए यह सभी यूरोपी देश हथियार और गोला-बारूद के लिहाज से एक बेहतरीन बाजार भी हैं।
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